ब्रिगेडियर कर्ण सिंह नहीं रहे
31 मार्च 2010
हिसार: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता ओमप्रकाश चौटाला के समधी व रिमाउंट एवं वैटनरी कोर भारतीय थलसेना के पूर्व निदेशक ब्रिगेडियर कर्ण सिंह (सेवानिवृत) का कल सुबह देहांत हो गया। वे 93 वर्ष के थे। ब्रिगेडियर कर्ण सिंह ने 1943 में भारतीय थलसेना में कमीशन प्राप्त किया था। दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिगेडियर कर्ण सिंह ने बर्मा सहित कई मोर्चो पर अपनी जान की बाजी लगाते हुए मोर्चों पर फतह हासिल की। सेना में उनकी सेवाओं व हौंसले को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें भारतीय थलसेना की गौरवशाली रिमाउंट एवं वैटनरी कोर के निदेशक के पद से सुशोभित किया। वर्ष 1952 में प्रतिष्ठित जनरल करियप्पा कप जीतने वाले वे पहले भारतीय बने तथा घुड़सवारी के क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। ब्रिगेडियल कर्ण सिंह वैटनरी कॉलेज लाहौर के स्नातक थे। वे रेस के थौरोब्रेड घोड़ों के प्रजनन के क्षेत्र में पे्ररणा स्त्रोत थे। अपनी प्रोफेशनल दक्षता की बदौलत ब्रिगेडियल कर्ण सिंह थौरोब्रेड घोड़ों की रेस के उद्योग जगत के अपने समय के अग्रणी प्रोफेशनरल एक्सपर्ट व सलाहकार रहे हैं। ब्रिगेडियल कर्ण सिंह ने अपनी अन्तिम सांस अपने पुत्र डॉ. विरेन्द्र सिंह ''अन्टील" निर्देशक स्टेट वैटर्नरी इंस्टीच्यूट के हिसार स्थित निवास पर ली। ब्रिगेडियल कर्ण सिंह कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। वे अपने पीछे अपनी धर्मपत्नी, दो पुत्र व तीन पुत्रियों का भरा पूरापरिवार छोड़ गए हैं। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि ब्रिगेडियल कर्ण सिंह की अन्तेष्टि आज 31 मार्च को पूरे मान सम्मान के साथ टोहाना स्थित उनके स्टड फार्म पर दोपहर 12 बजे होगी।
हिसार: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता ओमप्रकाश चौटाला के समधी व रिमाउंट एवं वैटनरी कोर भारतीय थलसेना के पूर्व निदेशक ब्रिगेडियर कर्ण सिंह (सेवानिवृत) का कल सुबह देहांत हो गया। वे 93 वर्ष के थे। ब्रिगेडियर कर्ण सिंह ने 1943 में भारतीय थलसेना में कमीशन प्राप्त किया था। दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिगेडियर कर्ण सिंह ने बर्मा सहित कई मोर्चो पर अपनी जान की बाजी लगाते हुए मोर्चों पर फतह हासिल की। सेना में उनकी सेवाओं व हौंसले को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें भारतीय थलसेना की गौरवशाली रिमाउंट एवं वैटनरी कोर के निदेशक के पद से सुशोभित किया। वर्ष 1952 में प्रतिष्ठित जनरल करियप्पा कप जीतने वाले वे पहले भारतीय बने तथा घुड़सवारी के क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। ब्रिगेडियल कर्ण सिंह वैटनरी कॉलेज लाहौर के स्नातक थे। वे रेस के थौरोब्रेड घोड़ों के प्रजनन के क्षेत्र में पे्ररणा स्त्रोत थे। अपनी प्रोफेशनल दक्षता की बदौलत ब्रिगेडियल कर्ण सिंह थौरोब्रेड घोड़ों की रेस के उद्योग जगत के अपने समय के अग्रणी प्रोफेशनरल एक्सपर्ट व सलाहकार रहे हैं। ब्रिगेडियल कर्ण सिंह ने अपनी अन्तिम सांस अपने पुत्र डॉ. विरेन्द्र सिंह ''अन्टील" निर्देशक स्टेट वैटर्नरी इंस्टीच्यूट के हिसार स्थित निवास पर ली। ब्रिगेडियल कर्ण सिंह कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। वे अपने पीछे अपनी धर्मपत्नी, दो पुत्र व तीन पुत्रियों का भरा पूरापरिवार छोड़ गए हैं। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि ब्रिगेडियल कर्ण सिंह की अन्तेष्टि आज 31 मार्च को पूरे मान सम्मान के साथ टोहाना स्थित उनके स्टड फार्म पर दोपहर 12 बजे होगी।