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म्यूजिक पाइरेसी रोकने संबंधी अभियान को सफलता मिलनी शुरू

31 मार्च 2010
हिसार: बिना लाइसेंस प्राप्त किए संगीत का व्यवसायिक प्रयोग करने वाले बड़े-बड़े होटल, केबल नेटवर्क, बैकंट हाल, डीजे, इवेंट आर्गेनाईजर्स, शॉपिग माल, आडियो विडियो शॉप व अन्य प्रतिष्ठान पर पीपीएल (फोनोग्राफिक परर्फोमेंस लिमिटेड) व स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर शुरू की गई मुहिम का असर अब साफ दिखाई देने लगा है। प्रदेश के दर्जन से अधिक जिलों में इस व्यवसाय से जुड़े लोगों ने स्वयं पहल करते हुए पीपीएल से विधिवत्ï रूप से लाईसैंस बनवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस कड़ी में हिसार में करीब तीन दर्जन से अधिक, करनाल में दो दर्जन, जींद व कैथल में म्यूजिक का उपयोग करने वाले करीब एक दर्जन से अधिक लोग पीपीएल से जुड़ चुके हैं। पीपीएल के अधिकारी धर्मेंद्र कपूर ने बताया कि हरियाणा व एनसीआर से जुड़े सभी क्षेत्रों में पाइरेसी को रोकने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान में लोगों को समाचार व अन्य संसाधनों से जागरूक किया जा रहा है, कि वे पाइरेटिड म्यूजिक का उपयोग करने की बजाय असली संगीत का मजा लें। इस अभियान में प्रदेश भर में कुछ एक स्थानों पर पीपीएल के अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस का सहयोग लेकर छापामारी भी की है। पीपीएल के अधिकारी धर्मेंद्र कपूर के अनुसार धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता आ रही है और इस व्यवसाय से जुड़े सभी लोग अब पीपीएल के साथ जुडऩे लगे है। उन्होंने बताया कि पीपीएल का प्रयास पूरे उत्तर भारत में पाइरेसी को जड़ मूल से समाप्त करना है। उन्होंने दावा किया कि हिसार में इसी माह करीब तीन दर्जन पीपीएल के लाइसैंस बनवाएं गए हैं और इसी तरह से पानीपत, कैथल व जींद जिले में भी लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया पर काम शुरू हो गया है। धर्मेंद्र कपूर का कहना था कि हालांकि कुछ बड़े संस्थान अभी भी पीपीएल से जुडऩे में आना-कानी कर रहे है, लेकिन देर-सवेर कानून का पालन सबको करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि हरियाणा में संस्था के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव भारद्वाज व मनोज ठुकलान के नेतृत्व में हर जिले में पीपीएल की टीम सक्रिय हैं। केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत संस्था पीपीएल के अधिकारी धर्मेंद्र कपूर ने कहा कि यदि कोई व्यवसायिक संस्थान लाइसेंस न बनवाकर कॉपीराइट एक्ट का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि कॉपीराइट एक्ट की धारा 51 के अनुसार बगैर लाइसेंस शुल्क अदा किए व्यवसायिक संगीत का इस्तेमाल एक गैर कानूनी कार्य है। पीपीएल के अधिकारी ने बताया कि पूरे उत्तर भारत में व्यवसायिक संस्थानों पर अवैध रूप से इस्तेमाल किए जा रहे संगीत पर शिकंजा कसने के लिए संस्था पुलिस प्रशासन के सहयोग से लगातार छापेमारी कर रही है। यदि कोई मालिक चेतावनी देने के बावजूद भी भारत सरकार द्वारा अधिकृत पीपीएल संस्था का शुल्क अदा नहीं करता तो यह गैरजमानती अपराध है और उस पर कानूनी कार्रवाई के चलते तीन वर्ष की कैद व दो लाख रूपए तक का जुर्माना हो सकता है। गौरतलब है कि पीपीएल देश की सबसे बडी व एकमात्र म्यूजिक लाईसेंस देने वाली संस्था है। इस संस्था के तहत आडियो/वीडियों कंपनियों, एचएमवी, टिप्स, वीनस, सोनी म्यूजिक, इरोज व टीसीरीज समेत 160 बड़ी भारतीय व विदेशी कंपनियां शामिल है, जिन्होंने मिलकर पीपीएल को संगीत के प्रसारण व सार्वजनिक आयोजन मामले में लाईसेंस जारी करने के लिए अधिकृत किया है। उन्होंने कहा कि इस एक्ट के अन्तर्गत आने वाले सभी मालिक आज से अपना कॉपीराईट लाईसेंस अवश्य बनवाएं अन्यथा मजबूरीवश बिना लाईसेंस के संगीत का इस्तेमाल गैरकानूनी है जिस पर कभी भी पीपीएल संस्था पुलिस की मदद से कानूनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। उन्होने बताया कि केंद्र्रीय सरकार द्वारा इसके उल्लंघन को रोकने के लिए राज्य सरकारों को स्पैशल सैल बनाने की हिदायत देने के साथ-साथ यह स्पष्ट कहा गया है कि सरकारी मशीनरी इस अवैध धंधे को रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर हर संभव मदद करेगी तथा धारा 64 में पुलिस विभाग को पूर्णत: यह अधिकार प्राप्त है कि वह बिना किसी वारंट के दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है। उन्होंने बताया कि पीपीएल संस्था केंद्र्रीय सरकार के नियमों के तहत गठित एक संस्था है और इसका संचालन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत होता है। उन्होंने यह भी बताया कि लाईसेंस न बनवाने की स्थिति में ऐसे संस्थानों पर प्रतिबंध की गाज भी गिर सकती है।

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