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लै गयो, लै गयो की ध्वनि से माहौल हुआ रसयुक्त

09 मार्च 2010

सिरसा(अमित सोनी) श्री बाल रसिक संघ द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन गौरव कृष्ण गोस्वामी ने कहा कि जन्म से लेकर मृ़त्यु पर्यंत व्यक्ति कुछ न कुछ निरंतर करता ही रहता है। उस कर्म के फल के रूप में व्यक्ति प्रभु से सांसारिक सुख ही मांगता है और इसी वजह से संसार का सुख भोगते हुए सांसारिक मोह में ही बंधा रहता है। यदि मानव अपने किए हुए कर्म के फल के रूप में प्रभु से प्रभु को ही मांग ले तो परमात्मा उस व्यक्ति को संसार का सुख देते हुए स्वयं ही दर्शन दे देते हैं। व्यास जी ने कहा कि डॉ. रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने जीवन में 6 हजार से अधिक गीत लिखे। जब उनसे पूछा गया कि अब तो आप संतुष्ट होंगे, आपने जीवन पर्यंत बहुत सुंदर गायन किया है तो टैगोर जी ने कहा कि राष्ट्र एवं प्रभु के असीम गुणगान में यह जीवन बहुत कम है। मैं कई जीवन लेकर भी लिखता-गाता रहूं तो भी मैं संतुष्ट नहीं हूं अर्थात प्रभु की महिमा गाते-गाते भक्त संतुष्ट नहीं होता। कर्मों की व्याख्या करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि कर्म तीन प्रकार के होते हैं। पहला संचित, दूसरा प्रारब्ध तथा तीसरा किरमाण। संचित एवं किरमाण कर्म कुछ सीमा तक कम या समाप्त हो सकते हैं परंतु प्रारब्ध कर्म तो भुगतने ही पड़ते हैं। आज का सबसे उत्तम व अलौकिक झांकीयुक्त प्रसंग श्रीकृष्ण-रुकमणि विवाह रहा जब भगवान सुंदर वेशभूषा में मंच पर रुकमणि का हरण करने आए। रुकमणि सखियों सहित कुलदेवी की पूजा कर रही हैं और भगवान कृष्ण वहां से उनका हरण कर ले जाते हैं। इसी दौरान लै गयो, लै गयो की ध्वनि से माहौल और भी रसयुक्त हो गया। भगवान कृष्ण एवं राधा जी की झांकियों में गोपियों का नृत्य साक्षात दिव्य महारास का अलौकिक दृश्य प्रस्तुत कर रहा था जिसे देखकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। जब व्यास पीठ से मुखरित हुए भजन लोगों ने गाया कि-मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो... तो दिव्य माहौल बन गया। कथा का विस्तृत वर्णन करते हुए व्यास जी ने कहा कि कुब्जा ने भगवान श्रीकृष्ण से रतिसुख की याचना की तो प्रभु ने उसे रतिसुख प्रदान किया। रुकमणि विवाह से पूर्व व्यास जी ने प्रभु के मथुरा गमन, कंस वध लीला, गोपी उद्धव संवाद, द्वारिकापुरी का निर्माण आदि प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रभु की ब्रजलीला भक्ति लीला है और मथुरा लीला ज्ञान लीला है। इसी प्रकार द्वारिका लीला वैराग्य लीला है। प्रभु की इन तीनों लीलाओं को श्रवण करने वाले को भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर पर विशेष अतिथि के रूप में हरियाणा योजना बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष चौ. रणजीत सिंह, कांग्रेस जिलाध्यक्ष होशियारी लाल शर्मा तथा मुख्य यजमान के रूप में रोशन लाल गोयल, नवजीवन बंसल, पवन कुमार सुनाम, प्रेम कंदोई, डॉ. अशोक सामा, सुनील गावड़ी, छबील दास रानियां, टोटल टीवी के संवाददाता अरुण मेहता, समरघोष के समाचार संपादक राजकमल कटारिया, द ट्रिब्यून के फोटो जर्नलिस्ट अमित सोनी, प्रेस फोटोग्राफर संजीव शर्मा, हीरालाल शर्मा, केदार पाहवा, संजीव जैन आदि को भी आचार्य श्री ने श्रीकृष्ण-राधा का चित्र भेंटकर सम्मानित किया।

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