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हरियाणा सरकार द्वारा भंडारी को हरियाणा गौरव सम्मान देने की घोषणा

10 मार्च 2010
सिरसा(सिटीकिंग) सिरसा के वरिष्ठ साहित्यकार सुखचैन सिंह भंडारी की साहित्य सृजक कलम को सम्मान देते हुए हरियाणा सरकार ने अपने अन्तर्गत संचालित हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी की ओर से वर्ष 2010 के लिए सबसे बड़ा सम्मान 'हरियाणा पंजाबी गौरव सम्मान' देने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि उपरोक्त सम्मान हरियाणा के किसी पंजाबी साहित्यकार को पहली बार दिया जा रहा है। इस सम्मान में सुखचैन सिंह भंडारी को हरियाणा सरकारी की ओर से एक लाख पच्चीस हजार रूपये नगद, ताम्रपत्र, श्रीफल, स्मृति चिन्ह और प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा जिसे किसी साहित्यकार मिलन समारोह में माननीय मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की ओर से श्री भंडारी को दिया जाएगा। श्री भण्डारी जिन्होंने अपनी कलम द्वारा पिछले कई वर्षों से साहित्य साधना की है और समाज एवं साहित्य जगत ने उस कलम द्वारा निकले साहित्य को पूरे दिल से सम्मान दिया है। यहां यह भी वर्णनीय है कि भंडारी गत पांच दशकों से निरन्तर पंजाबी एवं हिन्दी साहित्य सृजन में लगे हुए हैं जिसकी बदौलत उन्होंने अब तक बीस पुस्तकें, नाटक, कहानियां, लघुकथाएं, हास्य-व्यंग्य एवं बाल साहित्य रचित किए हैं जिसमें से उनकी हिन्दी एवं पंजाबी की सात पुस्तकों को समय-समय पर हरियाणा साहित्य अकादमियों (पंजाबी एवं हिन्दी) ने प्रथम पुरस्कार से भी नवाजा है। श्री भंडारी के चार पंजाबी नाटक भारत सरकार द्वारा आयोजित अखिल भारतीय नाट्य लेखन प्रतियोगिताओं में भी पुरस्कृत हुए हैं। यह पंजाबी भाषा में किसी एक नाटक लेखक का रिकार्ड है जो सिरसा की सोंधी माटी से जुड़ गया है। पुरस्कारों की कड़ी में ही श्री भंडारी की एक चर्चित पंजाबी कहानी 'क्रास ते लटकी औरत' पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय पंजाबी कहानी लेखन प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पर रही। बाद में यह कहानी हिन्दी और उर्दू भाषाओं में भी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई। इसी प्रकार उनकी दो लघुकथाएं जैमिनी अकादमी की ओर से आयोजित अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से नवाजी गईं। श्री भंडारी की अब तक दो सौ से ऊपर कहानियां, कविताएं और नाटक देश की भिन्न-भिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं जिससे इस लेखक का नाम साहित्य जगत में पूरी तरह से चर्चित रहा है। इस कलम द्वारा प्रथम बार रचित एक कहानी 'वह नहीं आया' वर्ष 1958 में प्रकाशित हुई थी। तब से अब तक इस लेखनी का सफर जारी है। इसी बात का अवलोकन करते हुए हरियाणा सरकार की हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी ने उन्हें इस सबसे बड़े सम्मान से नवाजा है।

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