सिरसा में कपास की खेती और जिनिंग का कारोबार विकास की डगर पर: मेहता
06 मार्च 2010
प्रस्तुति: प्रवीण व आयुष्मान
सिरसा में कपास की खेती और उससे जुड़ा जिनिंग का कारोबार निरतंर विकास की डगर पर है। उतार-चढ़ाव हर क्षेत्र में आते हैं और यह 
शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात आपका रुझान उद्योग की ओर कैसे हुआ?
१९८४ में गे्रजुएशन पूरी करने के बाद मेरे दिल में कुछ नया करने की उमंग थी। उस समय सिरसा में औषध उद्योग का प्रचलन नहीं थां । इसलिए मैने वर्ष १९८९ में अपने गांव पंजुआना में दवा निर्माता कंपनी स्थापित की। उन दिनों हिमाचल सरकार ने औद्योगिक करों में विशेष छूट प्रदान की। जिस कारण हरियाणा के फार्मा उद्योग की बहुत सी इकाइयां हिमाचल के बद्दी क्षेत्र में चली गर्इं । मेरा मन सिरसा छोडऩे का नहीं था और ऐसे में मैने कारोबार बदलने का निर्णय लिया और जिनिंग के क्षेत्र में पदार्पण किया।
सिरसा में कितनी जि़निंग व प्रेसिंग मिल्स है?
सिरसा उतर भारत की सबसे बड़ी कपास मंडी है। जिले में लगभग २० जि़निंग मिल्स हैं। जो कि मंडी से कच्चा माल खरीद कर एक मशीनी प्रक्रिया के जरिये कपास और बिनौले को अलग कर देते हैं। उसके बाद उसे प्रैस किया जाता है। सभी जि़निंग मिल्स की स्वयं संचालित ऑयल मिल्स भी हैं। ये मिल्स बिनौले से तेल तैयार करती हैं जो कि घर की रसोई में प्रयोग किया जाता है।
जि़निंग इंडस्ट्री की मुख्य समस्याएं क्या हैं?
इस इंडस्ट्री में मार्किट फीस की समस्या से जूझना पड़ता है । अलग-अलग राज्यों में मार्किट फीस में विभिन्नता होने के कारण उद्योग पर विपरीत असर पड़ता है। हमारी दूसरी सबसे बड़ी समस्या बिजली की है। हमें इस उद्योग के लिए लगातार बिजली आपूर्ति आवश्यक है। क्योंकि एक छोटे से कट से बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है।
आप समाज सेवा की ओर कैसे अग्रसर हुए?
कोई भी व्यक्ति जब समाज सेवा की ओर बढ़ता है तो उसका कोई न कोई प्रेरणा स्त्रोत अवश्य होता है। लायन्स आई बैंक के संस्थापक डा.विनोद गुप्ता से मुझे समाज सेवा की प्रेरणा मिली। १९८६ में मैं लियो 1लब से जुड़ा जो कि उस समय नौजवानों की संस्था थी। कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति इस संस्था से दुख के क्षणों में निसंकोच सेवाएं ले सकता है।