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मंगतराम वर्मा की पुण्यतिथि पर मधुर संगीत सम्मेलन सपंन्न

26 अप्रैल 2010
सिरसा(अमित सोनी) महान संगीतकार मंगतराम वर्मा की 31वीं पुण्यतिथि पर बंकरवाकर किया। कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति के रूप में शीवट मंदिर के प्रांगण में मधुर संगीत सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सुखियात आकाशवाणी कलाकार श्रीमती सरिता चौधरी मुख्यअतिथि थी तथा हरियाणवी लोक गीत-गाथाओं पर गहन शोधकर्ता डा. किरण ख्यालिया ने अध्यक्षता की। नगर के वरिष्ठ संगीतज्ञ रामेश्वर दास सोनी व सामुदायिक रेडियो एफएम के संस्थापक निदेशक विरेन्द्र चौहान विशिष्ट अतिथि थे। वयोवृद्ध संगीतज्ञ महावीर मूकेश के सानिध्य में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ बंशीवट के पुजारी पं. सीताराम ने मंत्रोच्चारण के साथ मां सरस्वती व मंगत राम वर्मा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित महेश नूतन की शिष्याओं हिमानी,शीतल अरोड़ा व साक्षी ने सरस्वती वंदना को अत्यंत भावपूर्ण ढंग से पेश किया। इनके साथ तबले पर संगत हरपाल सिंह ने की। मिश्र भैरवी में निपद्ध इस अद्भुत प्रस्तुति के बाद हिमानी सेठी ने भजन पेश करके श्रोताओं को भक्ति रस के मीठे हिलोरें दिलवाए। शीतल अरोड़ा ने जब माइक पर आकर सधे हुए कंठ से यह गज़़ल छेड़ी-दर्द सीने में छुपा लेते हैं हम, इस तरह से मुस्करा लेते है हम-तो वातावरण को नई महक मिली। इस महक को खुशबू बढ़ाने में शिफा चौधरी की गज़़ल-सितारे छिपने को आए अगर आते तो आ जाते-ने जबरदस्त काम किया। उनके स्वरों का उठान और एक-एक स्वर पर उतरना-चढऩा यूं लग रहा था जैसे सितारे चांद को छू छू कर चमक रहे हो। कार्यक्रम यौवन पर था और इसी दौरान मंच पर तरन्नुम भारती। इस कलाकार की गायकी ने दिग्गज कलाकारों के दांतों तलों की उंगलियां काट ली। उनकी यह प्रस्तुति-लंबिया जुदाईयां दिन प्यार दे- ने कार्यक्रम को नई ऊंचाई प्रदान की। प्रख्यात गायक रविन्द्र सिंह की पुत्री सिमरण की प्रस्तुति के पीछे उनकी लंबी तपस्या और सुर साधना उनके माथे पर मुकुट सी चमक रही थी। उनकी प्रस्तुति पर सारा पंडाल तालियों की गडग़ाहट से गूंज उठा। सिमरण चौधरी ने भी श्रोताओं को अपनी जगह से हिलने नहीं दिया। वक्त आधी रात को पार कर चुका था और अब बारी थी मुख्यअतिथि व समारोह अध्यक्ष के गायन की। श्रीमती सुनीता चौधरी व डा. किरण ख्यालिया ने हरियाणावी आंचल के सितारों से लिपटे एक गीत की संयुक्त प्रस्तुति देकर अपनी माटी के गीतों के राग सौंदर्य का लाजवाब प्रदर्शन किया। इन दोनों कलाकारों ने दो प्रस्तुतियां दी जो इस आयोजन की रीढ़ बन गई। युवा कलाकार अनिल अरोड़ा ने अमीर खुसरों की रचना - छाप तिलक सब छीनी रे- की प्रस्तुति दी। हरविन्द्र सिंह ने तार शहनाई पर राग यमन कल्याण प्रस्तुत करते हुए पहले अलाप, जोड़, गद्द पेश की। तबले पर हरपाल सिंह ने दु्रत व मध्य लय में विभिन्न तालों से राग को सजाया। रिछपाल सिंह व महेन्द्र सिंह ने शब्द गायन किया। वहीं मनदीप व मान कौर ने राजमियां की तोड़ी में छोड़ा व बड़ा ख्याल प्रस्तुत करके शास्त्रीय संगीत के प्रति युवा पीढ़ी के लगाव का अद्भुत नमूना पेश किया। इनके साथ तबले पर चलने वाली नन्हीं उंगलियां इन्हीं के छोटे भाई गुलाब सिंह की थी जिसने अपनी अलग पहचान देकर तालियां बटोरी। कार्यक्रम के शहर के संगीत प्रकाश पुंज मुरारी वर्मा ने अनेक कलाकारों के साथ ऑरगन पर अपनी संगत देकर कार्यक्रम को खूबसूरत अंजाम प्रदान किया। स्वतंत्र भारती, रविन्द्र सिंह, तनु चौधरी, अमित कुमार, सुनील सोनी की प्रस्तुतियां सारे कार्यक्रम को बूथने में सहायक साबित हुई। इस अवसर पर विरेन्द्र चौहान ने कार्यक््रम से मंत्रमुगध होकर वायदा किया कि अगला कार्यक्रम सीडीएलयू के सह सौजन्य से होगा। मुख्यअतिथि व समारोह अध्यक्ष ने नन्हें व युवा कलाकारों की प्रस्तुतियों की जमकर सराहना की और आयोजकों को बधाई दी। समापन अवसर पर श्रीमती सुनीता चौधरी, डा. किरण ख्यालिया, महावीर प्रसाद मूकेश, रामेश्वर दास सोनी, विरेन्द्र चौहान व मनीषा को स्मृति चिन्ह दिए गए। आयोजक गंगाधर वर्मा ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम को कामयाब बनाने में पं.सीताराम पुजारी, होशियारी लाल शर्मा, हीरालाल शर्मा, बृज मोहन शर्मा, नंद लाल, संजय वर्मा व उनके सहयोगियों ने भरपूर योगदान दिया। मंच का संचालन लाल पुष्प किया।

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