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मिलावठ के गौरख धंधे पर सख्ती से प्रतिबंध लगे:सुरजेवाला

02 अप्रैल 2010
कैथल: खाद्यान्न में मिलावट आंतक वाद से भी ज्यादा खतरनाक है। मिलावट के गौरख धंधे पर कड़ाई से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। यह बात अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर कांगे्रस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमशेर सिंह सुरजेवाला ने स्थानीय किसान भवन में विभिन्न क्षेत्रों से आए लोगों की शिकायतें सुनते हुए कही। सुरजेवाला ने कहा कि मिलावटी खाद्यान्न बनाने और बेचने पर सजा का प्रावधान है ऐसा सामान बेचना कानूनी जुर्म भी है, लेकिन मिलावट का गैर कानूनी धंधा करने वाले लोग कई बार साक्ष्यों के अभाव में बच निकलते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा सामान बेचने वाले सामाज विरोधी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए। सुरजेवाला ने आगे कहा कि उपभोक्ताओं को भी इस संदर्भ में सतर्क रहने की जरूरत है। मिलावट का काम करने वाले लोगों की संख्या बेशक कम हो सकती है, लेकिन वे अपना मिलावटी सामान बेचकर अधिक लोगों के स्वास्थ्य को नुक्सान पहुंचाने का काम करते हैं। उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे खरीदे गए सामान की गुणवत्ता को समझे और खरीदे गए सामान की रसीद अवश्य लें, ताकि यदि खरीदा गया खाद्यान्न निर्धारित मापदंड पर खरा नहीं उतरता या नकली निकलता है तो संबंधित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके। उन्होंने कहा कि अधिकतर किसान प्रति एकड़ अधिक उत्पादन लेने के लिए रसायनिक खादों एवं कीड़े मार दवाओं का असंतुलित प्रयोग करते हैं, जो जमीन की उपजाऊ परत को तो प्रभावित करता ही है साथ ही प्राणियों के स्वास्थ्य पर भी विपरित प्रभाव डालता है। मिलावटी खाद्यान्न के कारण असाध्य बीमारियां निरंतर बढ़ रही है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे बदलते परिवेश के दृष्टिगत रासायनिक खाद्यों की अपेक्षा जैविक तथा वर्मी कंपोस्ट पद्धति पर खेती करने के कार्य को प्राथमिकता दें। जैविक एक देसी पद्यति है। इस विधि से खेती करने से जमीन की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है तथा उत्पादित खाद्यान्न की गुणवत्ता रासायनिक खाद्यों की अपेक्षा अधिक बेहत्तर होती है। उन्होंने यह भी कहा कि किसान गेहूं और धान की खेती की बजाए फलों, फूलों, सब्जियों, मत्स्य पालन, औषधीय खेती के अलावा पशु पालन के व्यवसाय की ओर भी ध्यान दें।

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