राठौर का 'मासूम' बताने पर हाईकोर्ट ने लगाई हरियाणा सरकार को फटकार
02 अप्रैल 2010
चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) रुचिका छेड़छाड़ मामले में दोषी ठहराए गए हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौड़ के खिलाफ उस समय मामले के उजागर होने के बाद बावजूद विभागीय जांच पड़ताल बंद कर देने का फैसला आज हरियाणा सरकार को तब महंगा पड़ा जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को आड़े हाथों लेते हुए कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि जब राठौड़ केंद्र सरकार का कर्मचारी था तो हरियाणा सरकार ने उसे क्लीन चिट किस आधार पर दी? वर्ष 1994 मं राठौड़ के खिलाफ विभागीय जांच पड़ताल बंद कर दिए जाने की दलील हरियाणा सरकार ने यह कहते केंद्र सरकार की ओर से प्रतिनियुक्ति पर हरियाणा आए थे और उसके खिलाफ जांच-पड़ताल शुरू करने का हक भी केंद्र सरकार को ही था। इसी आधार पर हरियाणा सरकार ने राठौड़ के खिलाफ जांच बंद कर दी थी पर हरियाणा सरकार के इस फैसले पर कु्रद्ध नजर आते हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुदगल ने हरियाणा के कानून अधिकारी से पूछा, जब आपको उसे दोषमुक्त करार देने का कोई संवैधानिक अधिकार ही नहीं था तो आपने राठौड़ को क्लीन चिट कैसे दे दी? जब आप खुद कहते हैं कि वह केंद्र सरकार का कर्मचारी था तो उसके खिलाफ विभागीय जांच बंद करने का हक आपको किसने दिया? इसके विपरीत आपको चाहिए था कि राठौड़ के खिलाफ जांच का काम केंद्र सरकार को ही सौंप देते। हाईकोर्ट के इस सवाल का हरियाणा के कानून अधिकारी के पास कोई जवाब नहीं था और उसने इसका जवाब देने तथा संबंधित तथ्यों की जांच-पड़ताल के लिए कुछ समय मांग लिया। पर न्यायमूर्ति मुदगल ने फिर पूछा कि कानूनी तौर पर जब आपको राठौड़ के खिलाफ जांच बंद करने का हक ही नहीं तो आपने ऐसा किया क्यों? उसे दोषमुक्त करार देने की बनस्पित यह होता कि राठौड़ का मामला केंद्र सरकार के हवाले कर देते। अब यह मामला जनहित की जरूरत के मुताबिक रौशनी में लाया जाना जरूरी हो गया है और शिकायत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उधर, राठौड़ की पत्नी व अधिवक्ता आभा राठौड़ ने अपने पति को निर्दोष बताते हुए आरोप लगाया कि उनके पति को बेवजह फंसाया गया है। इसके जवाब में न्यायमूर्ति मुदगल ने कहा कि अभी यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता कि उसे बेवजह फंसाया गया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई चार हफ्तों बाद दोबारा शुरू करने के आदेश जारी करते हुए हरियाणा सरकार को राठौड़ को निर्दोष करार दिए जाने के मामले में जवाब के साथ तलब किया है।
चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) रुचिका छेड़छाड़ मामले में दोषी ठहराए गए हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौड़ के खिलाफ उस समय मामले के उजागर होने के बाद बावजूद विभागीय जांच पड़ताल बंद कर देने का फैसला आज हरियाणा सरकार को तब महंगा पड़ा जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को आड़े हाथों लेते हुए कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि जब राठौड़ केंद्र सरकार का कर्मचारी था तो हरियाणा सरकार ने उसे क्लीन चिट किस आधार पर दी? वर्ष 1994 मं राठौड़ के खिलाफ विभागीय जांच पड़ताल बंद कर दिए जाने की दलील हरियाणा सरकार ने यह कहते केंद्र सरकार की ओर से प्रतिनियुक्ति पर हरियाणा आए थे और उसके खिलाफ जांच-पड़ताल शुरू करने का हक भी केंद्र सरकार को ही था। इसी आधार पर हरियाणा सरकार ने राठौड़ के खिलाफ जांच बंद कर दी थी पर हरियाणा सरकार के इस फैसले पर कु्रद्ध नजर आते हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुदगल ने हरियाणा के कानून अधिकारी से पूछा, जब आपको उसे दोषमुक्त करार देने का कोई संवैधानिक अधिकार ही नहीं था तो आपने राठौड़ को क्लीन चिट कैसे दे दी? जब आप खुद कहते हैं कि वह केंद्र सरकार का कर्मचारी था तो उसके खिलाफ विभागीय जांच बंद करने का हक आपको किसने दिया? इसके विपरीत आपको चाहिए था कि राठौड़ के खिलाफ जांच का काम केंद्र सरकार को ही सौंप देते। हाईकोर्ट के इस सवाल का हरियाणा के कानून अधिकारी के पास कोई जवाब नहीं था और उसने इसका जवाब देने तथा संबंधित तथ्यों की जांच-पड़ताल के लिए कुछ समय मांग लिया। पर न्यायमूर्ति मुदगल ने फिर पूछा कि कानूनी तौर पर जब आपको राठौड़ के खिलाफ जांच बंद करने का हक ही नहीं तो आपने ऐसा किया क्यों? उसे दोषमुक्त करार देने की बनस्पित यह होता कि राठौड़ का मामला केंद्र सरकार के हवाले कर देते। अब यह मामला जनहित की जरूरत के मुताबिक रौशनी में लाया जाना जरूरी हो गया है और शिकायत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उधर, राठौड़ की पत्नी व अधिवक्ता आभा राठौड़ ने अपने पति को निर्दोष बताते हुए आरोप लगाया कि उनके पति को बेवजह फंसाया गया है। इसके जवाब में न्यायमूर्ति मुदगल ने कहा कि अभी यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता कि उसे बेवजह फंसाया गया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई चार हफ्तों बाद दोबारा शुरू करने के आदेश जारी करते हुए हरियाणा सरकार को राठौड़ को निर्दोष करार दिए जाने के मामले में जवाब के साथ तलब किया है।