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ईश्वर वहीं जिसके वश में प्रकृति

07 May 2010
सिरसा(न्यूजप्लॅस) श्री सनातन धर्म सभा सिरसा के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान महायज्ञ के सप्तम दिवस के प्रथम सत्र को सम्बोधित करते हुए नैमिषारण्यतीर्थ से पधारे पूज्यपाद् दण्डी स्वामी डा. केशवानंद सरस्वती जी ने कहा कि भगवान कृष्ण जब कंस को मारकर कुछ दिन मथुरा में रूक गए तो भगवान ने उधव को ब्रज भूमि में गोपियों का हाल जानने हेतु भेजा तो उधव गोपियों के कृष्ण प्रेम को देखकर आश्चर्यचकित रह गए और सात महीने तक वही रूके रहे। उधव गोपियों की भक्ति को देखकर अपने कोरे ज्ञान से लज्जित हुए। स्वामी जी ने कहा कि भक्त का मन, बुद्धि और अंहकार वैसे ही नहीं रहता जैसे मोतियाबिंद के रोगी को आकाश में तिरमिरे दिखाई देते हैं जो होते नहीं तथा वह जानता है कि ये हैं नहीं कल्पना मात्र है वैसे ही भक्त के मन बुद्धि और अंहकार तक मात्र व्यवहार के लिए है वास्तविक नहीं। स्वामी जी ने कहा कि भगवान के सोलह हजार एक सौ आठ विवाह हुए फिर भी पत्नी नहीं तथा सबके पति है। भाद्रपद मेंं चतुर्थी का चंद्रमा देखने से कलंक लग जाता है। स्वामी जी ने सातवें दिन की कथा में जामवंत के साथ युद्ध तथा जामवती से विवाह की कथा सुनाई। कालिंदी अर्थात यमुना जामवंत की बहन थी और वह भगवान की विवाह हेतु तपस्या कर रही थी। भगवान का चौथा विवाह यमुना से हुआ। भौमासुर ने सोलह हजार एक सौ राजकुमारियों को कारगार में बंदी बना लिया। भगवान ने भौमासुर को मारकर उन राजकुमारियों से विवाह किया तथा समाज में स्थिति प्रदान की। स्वामी जी ने कहा कि वेद के मंत्ररूप गोपियां थी। जो प्रकृति के बस में रहता है वह जीव है और जिसके वश में प्रकृति रहती है वह ईश्वर है। स्वामी जी ने रूक्मणी चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रूक्मणी कभी कोपभवन में नहीं गई। एक दिन भगवान ने उन्हें क्रोध दिलाने के लिए इतना तक कह दिया कि तुम चाहो तुम्हारा विवाह शिशुपाल से करवा देते हैं तो रूक्मणी चक्कर खाकर गिर गई और होश में आने पर यह कहा कि हे प्रभु कहां तो प्रकृति से पर आप और कहां प्रकृति से आबद्ध में नारी फिर भी आप संसार में माता-पिता मानते हैं तो मंै क्या करूं जिस हृदय में अविद्या, राग, द्वेष, अस्मिता रहते हैं उसमें आप निवास नहीं करते। ऐसा था रूक्मणी का चरित्र। आज के मुख्य यजमान प्रामेद मोहन गौत्तम, राधेश्याम तलवाडिय़ा, कुंदनलाल नागपाल, नंदलाल गोयल, अशोक बंसल, अश्विनी शर्मा, केके शर्मा, अशोक तलवाडिय़ा, जयगोबिंद गर्ग, रामअवतार हिसारिया, सुरेंद्र बंसल आदि ने पूजा अर्चना करके सातवें दिन के कथा का शुभारंभ किया। आज के कार्यक्रम में श्री सनातन धर्म सभा के कार्यकारी प्रधान नवीन केडिया, प्रधान आरपी शर्मा ने सभी कार्यकारिणी सदस्यों, श्रद्धालुओं, आयोजन में सहयोग देने वाले सदस्यों और विशेष रूप से मीडिया कर्मियों का आभार व्यक्त किय। मंच संचालन बजरंग पारीक ने किया। श्री सनातन धर्म सभा के सचिव बजरंग पारीक ने बताया कि कल 8 मई शनिवार को प्रात: 8 बजे हवनयज्ञ के पश्चात् पूर्णाहुति होगी, पूर्णाहुति के पश्चात भण्डारा आयोजित किया जाएगा। आज एसएन पारीक, संतोष मित्तल, ओंकार शर्मा, देव कुमार को सम्मानित किया गया।

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