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दिलो में खुशबू बिखेरते हैं दिल्ली-६ के गीत

कोई दो साल पहले राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने फ़िल्म रंग दे बसंती को प्रस्तुत कर देश भर के युवाओ में नई ऊर्जा और उत्साह भर दिया था तब ऐसा लगता था कि युवा भारत की तस्वीर को किसी ने पीले रंग से सज़ा दिया हो राकेश ने बसंत की आहट साथ फ़िल्म दिल्ली-६ को रिलीज कर एक बार फ़िर फूलो की खुशबू चारो ओर बिखेर दी हैं इस फ़िल्म के म्यूजिक एल्बम में हर पीढी के लिए गीत-संगीत हैं गीतकार प्रसून जोशी के अर्थपूर्ण गीतों का क्या कहना वे वाकई शब्दों के ठठेर हैंशब्दों को रचते हुए पर भावों का ऐसा मुलाल्मा चढाते हैं कि कि वे चमक उठते हैं जैसे कि शब्द'मसाकली' को ही ले लीजिये पहले तो यह किसी को समझ में नहीं आया कि यह क्या बला हैं मगर श्रोता जब पूरे गीत का भाव ग्रहण करेंगे तो मालुम चलेगा कि अरे यह तो नायिका के कबूतर का नाम हैं तो इस तरह प्रसून शब्द को चमकाते हैं उनकी यहीं विशेषता हैं कि जीवन के स्पंदन को महसूस कर उसे गीतों में उतार देते हैं 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के संगीत की चर्चा के बाद रहमान की यह दूसरी फ़िल्म हैं, जिसमे उसके संगीत से श्रोताओ को काफ़ी उम्मीदे थी ओर उनमे उन्हें 'गोल्डन कामयाबी' हासिल हुई हैं दिल्ली-६ का म्यूजिक एल्बम टी-सीरीज़ ने दिया हैं इसमे कुल दस ट्रैक हैं एक संवाद ट्रैक हैं जिसे अमिताभ बच्चन ने स्वर दिया हैं पहला गीत 'मसाकाली' फ़िल्म रिलीज़ होने से पहले ही चर्चित हो चुका हैं प्रसून जोशी ने इसे बड़ी सहजता से रचा हैं यह दो युवाओ के मन की उड़ान को अभिव्यक्त करता हैं प्रतीक के तोर पर कबूतर हैं जो नायिका का हैं यह गीत न केवल अभिनेत्री सोनम कपूर का पसंदीदा गीत हैं बल्कि यह हर युवाओ की जुबान पर हैं मसाकली-मसाकली उड़ मतक्ल गायक मोहित चोहन ने क्या खूब गया हैं- न उड़ियो न डरियो, कर मनमानी बढियो न मुड़ियो कर नादानी...लिखे हुए गीत प्रभावित करते है निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने फ़िल्म में काले बन्दर के चरित्र को भी रखा हैं जो की शुरू से लेकर अंत तक बना रहता हैं उन्होंने हर पात्र पर पूरी तरह से म्हणत की हैं लेकिन कहानी के मामले में वह थोड़ा जरुर गच्चा खा गए हैं फ़िर भी उन्होंने परिवार सहित देखने लायक फ़िल्म बनाई हैं

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