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कामकाजी महिलाओ में बढ़ रही हैं नशे की प्रवृत्ति

चंडीगढ़(प्रैसवार्ता) सिटी ब्यूटीफ़ूल चंडीगढ़ में कार्यरत कामकाजी महिलाओ में नशे की लत निरंतर बढती जा रही हैं और ज्यादातर महिलाऐं नशीले पदार्थ(कपसूल, कफसीरप, मदिरा, धुम्रपान व गुटका) प्रयोग करने लगी हैं प्रैसवार्ता द्वारा किए गए सर्वेक्षण अनुसार चंडीगढ़ में 50 प्रतिशत से ज्यादा कामकाजी महिलाए नशा करती हैं जिनमे से 30 प्रतिशत प्रोक्सिवेन कैप्सूल, पाँच प्रतिशत कफसीरप इतनी ही मदिरा बीयर, 2 प्रतिशत गुटका तथा एक प्रतिशत धुम्रपान कर रहीं हैं कुछ कामकाजी महिलाए ऐसी भी हैं जो नशे की तलब को शांत करने के लिए नींद की गोलिया लेने से भी गुरेज नही करती कानून के ढीलापन व मादक पदार्थो के ख़िलाफ़ प्रवर्तन एजेन्सीस की अनदेखी से मादक पदार्थो का आसानी से उपलब्ध हो जाना, महिलाओ में नशे का रुझान बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रहा हैं चिकित्सीय दवाओ को नशीले पदार्थों के स्थान पर प्रयोग करने को क्षतिदायक बताते हुए मनोचिकित्सकों का कहना हैं कि दवा विक्रेताओ पर नज़र रखने और कानून को कदा करने की जरूरत हैं मादक पदार्थो की तरस्कारी करने वालो का मानना हैं कि मादक पदार्थो की तरस्करी आसानी व काफ़ी लाभदायक व्यवसाय हैं एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने प्रैसवार्ता को बताया कि मादक पदार्थो का प्रयोग करने तथा बिक्री करने वालो पर कानूनी शिकंजा कसा भी जा सकता हैं, पर उन लोगो का क्या बिगाडा जा सकता हैं जो नशें की तलब को शांत करने के लिए तम्बाकू चबाते हैं, गुटका खाते हैं, धुम्रपान करते हैं, या फ़िर पट्रोल तक सूंघते हैं नशा छुडाने वाले चिकित्सक इस प्रवृति के लिए उन्हें भी उत्तरदायी मानने से भी गुरेज नही करते जो नशा छुडाने के नाम पर नशे का गुलाम बनाते हैं मनोचिकित्सकों के अनुसार नींद की गोलियाँ और बेचैनी दूर करने वाली दवाओ के प्रयोग से क्षति होना जरुरी हैं क्योंकि जब नशाखोर के शरीर में नशीलें दवाओ कि आदत पड़ जाती हैं तो उसके पास नशा करने के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं बचता ऐसे नशाखोरों का नशा असर समाप्त होते ही शारीरिक लक्षण सताने लगते हैं मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो के सूत्र स्वीकार करते हैं कि शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रो के युवाओं में नशा की लत बढती जा रहीं हैं, क्योंकि चिकित्सकों के अनुसार ज्यादा नशा करने से शरीर के महत्वपूर्ण अंग प्रभावित होते हैं और सैक्स प्रिक्रिया भी कमजोर होती हैं ज्यादातर दवा विक्रेता इस पक्ष में हैं, कि ऐसी दवा बिना चिकित्सक की पर्ची के नहीं देनी चाहिए, परन्तु कुछ दवा विक्रेता बिना लालचवंश नशीली दवाइयों की बिक्री भी करते हैं- जिन पर मादक पदार्थ नियंत्रक पदार्थ विभाग चाहकर भी कोई कार्यवाही नहीं कर सकता इस सन्दर्भ में वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर एस.पी.भार्गव ने प्रैसवार्ता को बताया हैं कि इस प्रवृति पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को नीति व कानून बदलना होगा और दवा विक्रेताओ को भी इंसानियत के लिए लालच से दूर रहकर मानव कल्याण हित में अपना योगदान देना होगा "मनमोहित ग्रोवर"

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