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हरियाणा में हाशिए पर हैं, पंजाबी समुदाय

कुरूक्षेत्र (प्रैसवार्ता) वर्तमान में हरियाणा का पंजाबी समुदाय प्रदेश में जनसंख्या की दृष्टि से एक तिहाई की भागीदारी के बावजूद स्वार्थी ठेकेदारों के जाल का शिकार होकर एक हाशिये पर पहुंच गया है, क्योंकि पंजाबी समुदाय को सही नेतृत्व नहीं मिल पाया है। 12 वीं विधानसभा चुनाव आते ही इस समुदाय के स्वार्थी लोगों का पंजाबी समुदाय से प्रेम जाग चुका है और अपनी-अपनी डफली लेकर बिरादरी अलाप करने लगे हैं। स्वयं को बिरादरी का ठेकेदार का रूप देने के लिए पंजाबी समुदाय के हितों पर ''सौदेबाजी" करने वालों में इस्साकसी शुरू हो गई है। भले ही हरियाणा में एक दर्जन से ज्यादा पंजाबी समाए हैं, परन्तु हरियाणा पंजाबी मोर्चा ही एक मात्र पंजाबी समुदाय से संबंधित संस्था है, जो समय-समय पर छोटे-मोटे आयोजन करके अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है। पंजाबी समुदाय के कभी हितैषी न रहे विकास मंत्री हरियाणा ऐ.सी. चौधरी, पूर्व मंत्री सुभाष बत्तरा, जैसे स्वयंभु बिरादरी ठेकेदारों को चुनावी सीजन में ही क्यों पंजाबी प्रेम जागता है, यह बिरादरी के लिए सोचना जरूरी है। तथ्य साक्षी है कि एक तिहाई जनसंख्या वाले पंजाबी समुदाय को गैरजाट होते हुए बिश्रोई समुदाय के भजन लाल को अपना नेता मानना पड़ा था, परन्तु अब स्थिति में बदलाव है। भजन लाल ने इकलौते बिश्रोई समुदाय के विधायक होते हुए 17 पंजाबी विधायकों के बल पर 12 वर्ष तक मुख्यमंत्री पद संभाला और 9 विधायकों को मंत्री मंडल में स्थान देने उपरांत भी इस समुदाय को नहीं उभरने दिया। हरियाणा के मानचित्रों को देखने से पता चलता है कि बहादुरगढ़ से डबवाली, रोहतक-अम्बाला मार्ग स्थित प्रमुख शहरों तथा कस्बों में आजादी से पूर्व व्यापार व राजनीति बनिया समुदाय के पास थी, मगर आजादी उपरांत पंजाबी समुदाय ने अपनी मेहनत और लगन के चलते बनिया समुदाय को पीछे छोड़ दिया। आपसी तालमेल न होने से प्रदेश स्तर का कोई भी पंजाबी नेता उभर नहीं सका-जबकि प्रयास कई पंजाबी नेताओं ने किये। संतकुमार एडवोकेट को छोड़कर किसी ने भी प्रदेश स्तरीय पंजाबी नेता के रूप में पहचान नहीं बनाई। यहां भजनलाल के दिमाग की अनदेखी करना एक भूल होगी, क्योंकि समय-समय भजन लाल ने पंजाबी समुदाय के लोगों को एकजुट होने से रोकते हुए नये-नये पंजाबी नेता तैयार करते रहे, जिनका कार्य मात्र भजन भाषा बोलना होता था। यही कारण रहा कि प्रभावशाली समुदाय होते हुए भी पंजाबी नेतृत्व विहीन करे है और पिछले दो दशक से बिश्रोई होते हुए भी भजन लाल और जाट धुरी के सिरमौर बने हुए हैं। इनैलो सुप्रीमों ओम प्रकाश चौटाला ने भी पंजाबी समुदाय के अशोक अरोड़ा, शरद बत्तरा, अमीर चंद तथा सुमित्रा महाजन को साथ जोड़कर पंजाबी समुदाय को साथ जोडऩे का प्रयास किया, परन्तु श्री चौटाला की पारखी नजर धोखा खा गई, जिन्हें पंजाबी समुदाय के प्रभावी नेता समझा जाता था, वह पंजाबी समुदाय को दूर रखने में भूमिका निभाते रहे। वर्तमान में पंजाबी समुदाय की नजरें पढ़े-लिखे तथा पंजाबी समुदाय के दुख-दर्द को समझने वाले संतकुमार एडवोकेट की तरफ है, जो राज्य में पंजाबी मुख्यमंत्री का अलाप लेकर पंजाबी समुदाय को एकजुट कर सकते हैं।

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