फैशन की राजधानी यूं तो नहीं कहलाती पैरिस
मनमोहित ग्रोवर की विशेष रिपोर्ट
तीन तरफ से इंग्लिश चैनल से घिरा फ्रांस दरअसल पुरातनता और आधुनिकता का अनोखा मेल है। लगभग चैकोर भूखंड वाला यह देश कई मामलों में अनोखा है और सुंदरता से लबरेज भी। फ्रांस की राजधानी पेरिस संपूर्ण विश्व के लोगों
की आंखों में एक स्वप्न लोक की तरह बसी हुई है। इसे फैशन की विश्व राजधानी भी कहा जाता है। फ्रेंच में परी कहलाने वाला यह शहर पेरिस विश्व के गिने-चुने सुंदरतम, सुव्यवस्थत और मनोरम शहरों में से एक माना जाता है। शहर के मध्य में बहती है सोन नदी और उसके एक तट पर स्थित है विख्यात एफिल टावर। पेरिस का अतिविशाल कॉनकॉर्ड चैक भी दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। वैसे, यहां का सबसे अधिक कुछ प्रसिद्ध है तो वह है फैशन।
पेरिस के दर्शनीय स्थलों में सबसे पहले एफिल टावर का नाम आता है। यह टावर उसी प्रकार पेरिस का प्रतीक बन गया है जिस प्रकार दिल्ली का कुतुब मीनार या इंडिया गेट। वैसे, इसमें दो मत नहीं हैं कि बनावट के मामले में यह इंडिया गेट से अधिक कौशलपूर्ण है। फ्रांसीसी इंजीनियर एलेक्जेंडर गुस्ताव एफिल द्वारा की गई डिजाइन के अनुसार यह टावर 985 फुट ऊंचा है। तीन मंजिले टावर की हर मंजिल तक जाने के लिए लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध है। इससे हर मंजिल का किराया अलग-अलग है। तीसरी मंजिल पर खड़े होकर आप वहां से 35 किलोमीटर दूर तक का विहंगम दृश्य देख सकते हैं। पास ही स्थित सोन नदी में चांदनी रात में नौका विहार करना बहुत ही अच्छा लगता है।
ट्यूलेरी गार्डन एफिल टावर के नजदीक ही है। सैंकड़ों किस्म के फूल और पौधे यहां की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देते हैं। यहां की हरियाली और रमणीयता हर एक को मंत्रमुग्ध कर देती है। कॉनकोर्ड चैक भी देखने लायक जगह है। चारों दिशाओं से आने वाली सड़कों को मिलाने वाले इस चैक के बीच में एक ऐसी मूर्ति स्थापित है, जो 3300 वर्ष पुरानी और लगभग 225 टन वजनी है। इस चैक से जुड़ी सड़कों पर इतनी तेज गति से कारें चलती हैं कि आपको शायद विश्वास ही नहीं होगा। नेपोलियन की विजय के प्रतीक स्वरूप बनाए गए भव्य विजय द्वार की ऊंचाई 162 फुट और चैड़ाई 147 फुट है। इस विजय द्वार के ऊपरी हिस्से पर पहुंचने के लिए आपको कई सीढिय़ां चढऩी पड़ेंगी। वहां से पेरिस शहर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
सोन नदी के तट पर लगभग पांच किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला लुब्रू संग्रहालय देखने जरूर जाएं। यह विश्व का सबसे बड़ा चित्र संग्रहालय माना जाता है। यहां पर संरक्षित मध्य युग तथा उसके बाद की हजारों कलाकृतियों को देखकर आप विस्मित हो जाएंगे। नोत्रदाम सिर्फ पेरिस का ही नहीं, बल्कि पूरे फ्रांस का प्रमुख गिरजाघर माना जाता है। इस स्थान पर पहले रोमन साम्राज्य में जुपिटर मंदिर बनाया गया था। बाद में उसी स्थान पर यह गिरजाघर बना दिया गया। इसे इस प्रकार बनाया गया है कि यह सिर्फ पेरिस के ही नहीं, बल्कि फ्रांस के भी बीच में स्थित है।

पेरिस के दर्शनीय स्थलों में सबसे पहले एफिल टावर का नाम आता है। यह टावर उसी प्रकार पेरिस का प्रतीक बन गया है जिस प्रकार दिल्ली का कुतुब मीनार या इंडिया गेट। वैसे, इसमें दो मत नहीं हैं कि बनावट के मामले में यह इंडिया गेट से अधिक कौशलपूर्ण है। फ्रांसीसी इंजीनियर एलेक्जेंडर गुस्ताव एफिल द्वारा की गई डिजाइन के अनुसार यह टावर 985 फुट ऊंचा है। तीन मंजिले टावर की हर मंजिल तक जाने के लिए लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध है। इससे हर मंजिल का किराया अलग-अलग है। तीसरी मंजिल पर खड़े होकर आप वहां से 35 किलोमीटर दूर तक का विहंगम दृश्य देख सकते हैं। पास ही स्थित सोन नदी में चांदनी रात में नौका विहार करना बहुत ही अच्छा लगता है।
ट्यूलेरी गार्डन एफिल टावर के नजदीक ही है। सैंकड़ों किस्म के फूल और पौधे यहां की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देते हैं। यहां की हरियाली और रमणीयता हर एक को मंत्रमुग्ध कर देती है। कॉनकोर्ड चैक भी देखने लायक जगह है। चारों दिशाओं से आने वाली सड़कों को मिलाने वाले इस चैक के बीच में एक ऐसी मूर्ति स्थापित है, जो 3300 वर्ष पुरानी और लगभग 225 टन वजनी है। इस चैक से जुड़ी सड़कों पर इतनी तेज गति से कारें चलती हैं कि आपको शायद विश्वास ही नहीं होगा। नेपोलियन की विजय के प्रतीक स्वरूप बनाए गए भव्य विजय द्वार की ऊंचाई 162 फुट और चैड़ाई 147 फुट है। इस विजय द्वार के ऊपरी हिस्से पर पहुंचने के लिए आपको कई सीढिय़ां चढऩी पड़ेंगी। वहां से पेरिस शहर का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
सोन नदी के तट पर लगभग पांच किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला लुब्रू संग्रहालय देखने जरूर जाएं। यह विश्व का सबसे बड़ा चित्र संग्रहालय माना जाता है। यहां पर संरक्षित मध्य युग तथा उसके बाद की हजारों कलाकृतियों को देखकर आप विस्मित हो जाएंगे। नोत्रदाम सिर्फ पेरिस का ही नहीं, बल्कि पूरे फ्रांस का प्रमुख गिरजाघर माना जाता है। इस स्थान पर पहले रोमन साम्राज्य में जुपिटर मंदिर बनाया गया था। बाद में उसी स्थान पर यह गिरजाघर बना दिया गया। इसे इस प्रकार बनाया गया है कि यह सिर्फ पेरिस के ही नहीं, बल्कि फ्रांस के भी बीच में स्थित है।