अब किशोरियां हो रही हैं स्कूटी की दीवानी
पानीपत(प्रैसवार्ता)रफ्तार के साथ चलने की चाह ने कालेज गोइंग युवतियों में स्कूटी के क्रेज को जबरदस्त हवा दी है। रफ्तार के साथ भगाने की दीवानगी कहें या फैशन, अब सड़कों पर किशोरियां कार की ड्राइविंग के साथ स्कूटी की ड्राइविंग करती नजर आती हैं। इसी क्रेज को भुनाते हुए निर्माता कंपनियों ने भी लेटेस्ट ट्रेंड व स्टाइल वाली स्कूटी मार्केट में उतारी हैं। प्रोडक्ट के विज्ञापन के लिए सिने तारिकाओं का सहारा लिया जा रहा है। ग्लैमर और आधुनिकता के दौर में लड़कियां किसी मामले में पीछे नहीं हैं। जल्द पहुंचने व टशन मारने के लिए उनमें स्कूटी का क्रेज बढ़ा है। करीब साल भर से स्कूटी के बाजार में जबरदस्त उछाल आया है। शौक के रूप में ली जाने वाली स्कूटी ने अब उनकी जीवन शैली में पैठ बना ली है। आलम यह है कि जिले में प्रतिमाह 60 से 70 स्कूटी बिक रही हैं। टू-व्हीलकर निर्माता कंपनियों ने लड़कियों की दीवानगी को कैश कराने के लिए कई आकर्षक डिजाइनों व रंगों में अपने प्रोडक्ट बाजार में उतारे हैं। इसके अलाव उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए वाहन में ही कई सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। कई नामचीन कंपनियों ने हल्के स्तर की, उनके मोबाइल को चार्ज करने वाली व इलेक्ट्रिक किक वाली स्कूटी बाजार में उतारी हैं। कंपनियां इसके क्रेज को बढ़ाने के लिए विज्ञापनों में फिल्म अभिनेत्रियों का सहारा ले रही हैं। बजाज कंपनी के प्रतिनिधि वीके गुप्ता बताते हैं कि स्कूटी हल्की व आकर्षक होने के कारण लड़कियों के लिए सुविधाजनक है। स्कूटर मोटरसाइकिल भारी होती हैं, जबकि ये लाइटवेट हैं। इसके अलावा वाहन में लड़कियों की जरूरत के मुताबिक सुविधाएं व एसेसरीज दी गई हैं। कालेज गोइंग विनीता छाबड़ा, मोनिका, ज्योति राठी, सुकोमल आदि का कहना है कि स्कूटी से कम समय में घर से कालेज व ट्यूशन पहुंच जाती हैं। इससे समय कम लगता है और थकान भी नहीं होती। इसके अलावा टशन व रोब भी पड़ता है। उनका कहना है कि हवा से बातें कर चंद समय में गंतव्य पर पहुंचना भी मन को भाता है। प्राध्यापिका डा. गीता सिंह बताती हैं कि सस्ती व हल्की होने के कारण स्कूटी मध्यमवर्गीय परिवारों की पहुंच में है। कुछ सालों से शहरी क्षेत्रों का तेजी से आर्थिक विकास हुआ है और लोग अब लड़कों की तरह अपनी लड़कियों को भी सुविधाएं उपलब्ध कराने लगे हैं।