समवन्य समिति बन सकती है-हुड्डा के लिए सिरदर्दी
चंडीगढ़(प्रैसवार्ता)मुख्य मंत्री हरियाणा भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने अपने पार्टी विरोधियों को हाशिये पर करते हुए मंत्रीमंडल का गठन कर लिया है, जबकि हजकां के लिए द्वार भी खुले रखे हैं। हजकां सुप्रीमों कुलदीप बिश्रोई से 36 का आंकड़ा रखने वाले भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, जहां विधानसभा चुनाव में बागी उम्मीदवारों से जूझते रहे, वही मंत्री मंडल गठन को लेकर बगावती स्वरों का उन्हें सामना करना पड़ रहा है। मंत्री मंडल गठन उपरांत कांग्रेस आलाकमान द्वारा मुख्यमंत्री के कामकाज की निगरानी रखने समवन्य समिति बनाकर वीरेन्द्र सिंह को वाईस-चेयरमैन बनाते हुए श्री हुड्डा विरोधी सुश्री शैलजा, किरन चौधरी, राव इन्द्रजीत को समवन्य समिति में शामिल करके भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को भी राजनीतिक झटका दिया है, जो किसी समय भी श्री हुड्डा के लिए सिरदर्दी पैदा कर सकता है। कांग्रेसी विधायकों के बगावती स्वरों, निर्दलीय विधायकों की विशेष देख-रेख रखने वाले श्री हुड्डा पर समवन्य समिति की भी तलवार लटकती रहेगी। जिक्र योग है, कि वीरेन्द्र सिंह अपनी पराजय का ठीकरा अपनो पर ही फोड़ चुके हैं, जिसका संकेत श्री हुड्डा की तरफ स्पष्ट देखा जा सकता है। सरकार गठन उपरांत बाहरी चुनौतियों का सामना कर रहे भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के लिए अंदरूणी चुनौतियां महंगी साबित हो सकती है। श्री हुड्डा टिकट वितरण, मुख्यमंत्री पद प्राप्ति और मंत्रीमंडल के गठन को हुड्डा खेमा एक सफलता देख रहा है, मगर इस सफलता के पीछे की तस्वीर में धुंधलापन दिखाई देती है। यह भी सत्य है, कि समवन्य समिति के ज्यादातर चेहरे भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की ताजपोशी के विरोधी रहे हैं। ''प्रैसवार्ता'' को हरियाणवी राजनीति पर प्रभावी पकड़ रखने वाले एक राजनीतिक पंडित ने बताया कि समवन्य समिति सरकार के कार्य पर नजर रखेगी या भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की कुर्सी खींचने में इसका अंदाजा हुड्डा विरोधी खेमा को समवन्य समिति में दिये गये प्रतिनिधित्व से लगाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में श्री हुड्डा के लिए सरकार चलाना टेढ़ी खीर से कम नहीं आंका जा सकता।