सिटीकिंग परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। सिटीकिंग परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 098126-19292 पर संपर्क करे सकते है।

BREAKING NEWS:

तांत्रिक क्रियाओं के लिए उल्लूओं की हत्या

30 दिसंबर 2009
हिसार(सिटीकिंग) यह एक ऐसा धंधा है, जिसमें खौफ है, अंधविश्वास है, ढोंग है और मासूम जीवों को अकाल मौत के मुंह में धकेलने की दर्दनाक कहानी है। दरअसल लोगों को सुख-समृद्धि दौलत से भरपूर होने के लिए शहर आसपास में इन दिनों उल्लूओं के पंजे नाखून बेचने का गोरख धंधा चल पड़ा है। उल्लूओं के मांस, पंजों आदि से तांत्रिक शहर में जगह-जगह ताबीज आदि बेच रहे है। लक्ष्मी का वाहक माने जाने वाले उल्लूओं को तांत्रिक अपनी तांत्रिक क्रियाओं के लिए कत्ल कर उसके पंजे, नाखून अन्य अंगों को छोटे-छोटे टुकड़ों में भोले-भाले लोगों को बेचकर अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं। लोग भी इन तांत्रिकों की बातों में आकर लुट रहे हैं। शहर में तांत्रिक जगह-जगह अपनी दुकान लगाकर उल्लूओं के अंगों को ताबीज खुले रूप में दस रुपये से लेकर 500 रुपये तक बेचते आम देखे जा सकते हैं। यह तांत्रिक लोगों को तरह-तरह के अधविश्वास देकर लोगों को अपने जाल में फंसा लेते है और लोग अपना फायदा समझ उल्लू के अंगों को खरीद लेते हैं। यह धंधा अब व्यापक रूप ले चुका है और इसके लिए बड़े पैमाने पर बीहड़ खेतों में उल्लूओं का कत्ल किया जा रहा है। उल्लूओं का कत्ल करने के बाद तांत्रिक उसके अंगों को चीरफाड़ देते हैं और उसमें से नाखून पंजे निकाल लेते हैं। तांत्रिक उल्लू को लक्ष्मी का वाहक बताकर यह भी कहते हैं कि उनके पास उल्लूओं के अनेक अंग हैं, यदि वे इन अंगों को खरीदकर अपने प्रतिष्ठान या घर में ले जाएं, वह घर धन दौलत से हरा-भरा हो जाएगा। तांत्रिक यह भी कहते हैं कि यदि उनके पास से खरीदकर उल्लू के पंजे, नाखून अन्य अंगों को बच्चों के गलों में डालेंगे इससे बच्चे डरेंगे नहीं और उन्हें काफी लाभ मिलेगा। कई युवाओं को सम्मोहन के लिए भी इसका इस्तेमाल करने के लिए बताया जाता है। जिस वजह से अनेक तरह के लोग उनके शिकंजे में जाते हैं और लूट का शिकार हो बैठते हैं। शमशानघाट से पकड़ते हैं: दो तांत्रिकों ने नाम छापने की शर्त पर बताया कि वे उल्लू को श्मशानघाट से पकड़ते है ओर बाद में उसके अंगों को विभिन्न कामों में इस्तेमाल करते हैं। उल्लूओं का निवास स्थान भी श्मशानघाटों के पेड़ों को बताया जाता है। अंगों का कैसे होता है इस्तेमाल- शहर में चल-फिर कर उल्लूओं के अंगों से तैयार कर ताबीज बेच रहे तांत्रिक सहाबुद्दीन, अल्लाउद्दीन, जाकिर हुसैन से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि उल्लूओं के पंजों को यदि ताबीज में डालकर बच्चों के गले में डाली जाए तो उससे बच्चों को ओपरी-परछाई यानी भूत प्रेत का खतरा नहीं रहता। तांत्रिकों का यह भी दावा है कि बच्चे रोते नहीं, हुष्ट, पुष्ट रहते हैं, दांत निकालने में तकलीफ नहीं होती और बच्चों पर किसी की नजर नहीं लगती। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त उल्लूओं के अंगों को यदि टोने-टोटकों के रूप में प्रयोग कर दुश्मन के घर भेजा जाए या उसके घर के सामने गाड़ दिया जाए तो वहां पर काफी नुकसान होना शुरू हो जाता है। विभाग सख्त एक्शन लेगा: इस संबंध में जब जिला वन्य प्राणी निरीक्षक से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि उल्लू सहित अन्य जंगली जानवरों के बाल, पंजे शरीर के अन्य अंग रखना कानूनी अपराध है, इसके साथ-साथ उक्त जीवों की खरीद-फरोख्त पर भी प्रतिबंध है। विभाग इस पर सख्त एक्शन लेगा। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में ग्रेड हार्न (बड़ा उल्लू) की प्रजातियां ही पाई जाती है।

Post a Comment