संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी ने सत्संग के दौरान कहे कुछ अनमोल शब्द
31 जनवरी 2010
सिरसा(सिटीकिंग) जिस सतगुरू दाता ने पहाड़ जैसे बुरे कर्मों को राई में तथा सुली को सुल में बदल दिया हो उस सतगुरू दाता के परोपकारों को भूलाया नही जा सकता। रूहानियत के मार्ग पर दृढता से कदम बढ़ाते हुए ऐसी मंजिलें तय की जा सकती है कि इस मृत्युलोक में रहते हुए भी कण कण में ईश्वर, अल्लाह, मालिक के दर्श दीदार पाए जा सकते है। उक्त उदगार डेरा सच्चा सौदा के पूजनीय संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रविवार को शाह सतनाम जी धाम में आयोजित मासिक सत्संग के दौरान कहे। सत्संग कार्यक्रम में पूज्य गुरू जी के वचनों को श्रवण करने के लिए देश विदेश से लाखों की साध संगत पहुंची। इस अवसर पर कविराज भाइयों ने मधुर वाणी में भजन गाए जिन पर पंडाल में उपस्थित साध संगत मंत्रमुग्ध होकर झुमने लगी। सत्संग के दौरान पूज्य गुरू जी ने कहा कि परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज का पावन जन्ममाह साध संगत धूमधाम से मना रही है तथा खुशियों में झूम रही है। संत जी ने कहा कि सतगुरू, मौला ने समाज व मानवता की भलाई के लिए वचन किए ताकि समाज की तमाम बुराइयां निकल सके। संत जी ने कहा कि इन्सान मालिक की दया, मेहर, रहमत हासिल करता हुआ अंदर बाहर शांति हासिल कर आनंदमय ढंग से जीवण गुजार सके, एेसा तरीका सतगुरू मालिक ने बताया। उन्होने कहा कि जो उस तरीके पर अमल करते है, वहीं खुशियों के हकदार बन सकते है। संत जी ने कहा कि मनुष्य को परमार्थ करने चाहिए। उन्होने कहा कि नशों व बुराइयों की दलदल में फंसे आदमी को अगर चंद पैसे लगाकर उसे सत्संग में लाया जाए , जहां गुरूमंत्र, नामदान लेने से नर्क के समान उसका जीवन स्वर्ग जन्नत के समान बन जाए तो वो सच्चा परमार्थ होगा। संत जी ने कहा कि उस व्यक्ति के परिवार के सदस्य भी आपको दुआएं देंगे। मन को सभी बुराइयों की जड़ बतलाते हुए उन्होंने कहा कि सेवा सुमिरन के द्वारा तथा सत्संग सुनकर मनुष्य मन से लड़ सकता है। उन्होने कहा कि बुराइयों से बचना चाहिए। उन्होने कहा कि संत, पीर, फकीर कभी किसी को बद्दुआ या बुरा नही कहते वो तो सबका भला सोचते है तथा लोगों को बुरे कर्म न करने का संदेश देते है। संत जी ने कहा कि खोटे कर्म करोगे तो काल की मार पडेगी। उन्होने उठते, बैठते, काम धंधा करते हर समय उस ईश्वर, अल्लाह मालिक का नाम जपते रहने उसकी याद में समय गुजारने तथा चुगली निंदा से बचने का आह्वान किया।
सत्संग के दौरान संत जी ने नशों को गंदगी का घर बतलाते हुए कहा कि नशे घर परिवार की सुख शांति, शारीरिक स्वास्थ्य सभी कुछ बिगाड देते है। उन्होने कहा कि हमारे धर्मों तथा अब विज्ञान ने भी माना है कि नशे हानिकारक है। नशों के कारण जिंदगीयां बर्बाद हो रही है, 50 साल तक की उम्र जीने वाला व्यक्ति 25 साल में ही इस दूनिया से रूकस्त हो रहा है। सत्संग के दौरान पूज्य गुरू जी ने साध संगत द्वारा लिखित में पुछे गए रूहानियत संबधित प्रश्रों के उतर देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। बिना दान दहेज के सादगी पूर्ण ढंग से कई शादियां भी करवाई गई। इस अवसर पर अनेक युवाओं ने पूज्य गुरू जी के आह्वान पर वेश्यावृति की बुराई को छोड़ समाज की मुख्यधारा में शामिल होने वाली युवतियों को अपनी पत्नी के रूप में अपनाने तथा अनेक परिवारों ने उन्हे अपनी बहन, बेटी के रूप में अपनाने के लिए आगे आए। कई परिवार वेश्याओं की शादी से पहले की औलादों को गोद लेने के लिए भी आगे आए। सत्संग के समापन के पश्चात पूज्य गुरूजी ने हजारों लोगों को गुरूमंत्र, नामदान की दीक्षा भी दी।
सत्संग के दौरान संत जी ने नशों को गंदगी का घर बतलाते हुए कहा कि नशे घर परिवार की सुख शांति, शारीरिक स्वास्थ्य सभी कुछ बिगाड देते है। उन्होने कहा कि हमारे धर्मों तथा अब विज्ञान ने भी माना है कि नशे हानिकारक है। नशों के कारण जिंदगीयां बर्बाद हो रही है, 50 साल तक की उम्र जीने वाला व्यक्ति 25 साल में ही इस दूनिया से रूकस्त हो रहा है। सत्संग के दौरान पूज्य गुरू जी ने साध संगत द्वारा लिखित में पुछे गए रूहानियत संबधित प्रश्रों के उतर देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। बिना दान दहेज के सादगी पूर्ण ढंग से कई शादियां भी करवाई गई। इस अवसर पर अनेक युवाओं ने पूज्य गुरू जी के आह्वान पर वेश्यावृति की बुराई को छोड़ समाज की मुख्यधारा में शामिल होने वाली युवतियों को अपनी पत्नी के रूप में अपनाने तथा अनेक परिवारों ने उन्हे अपनी बहन, बेटी के रूप में अपनाने के लिए आगे आए। कई परिवार वेश्याओं की शादी से पहले की औलादों को गोद लेने के लिए भी आगे आए। सत्संग के समापन के पश्चात पूज्य गुरूजी ने हजारों लोगों को गुरूमंत्र, नामदान की दीक्षा भी दी।