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चिकित्सा क्षेत्र में नया आयाम

एक ही चीरे से दूरबीन आप्रेशन शुरू
31 जनवरी 2010
सिरसा(सिटीकिंग) हरियाणा में दूरबीन के आप्रेशन (लेपरोस्कोपिक सर्जरी) में एक नई तकनीक एक चीरे द्वारा दूरबीन (सिल्स-सिंगल इनसीजन लेपरोस्कोपिक सर्जरी) आप्रेशन की शुरूआत हो चुकी है। गॉल ब्लाडर की पत्थरी का सिल्स द्वारा सफलतापूर्वक आप्रेशन शाह सतनाम जी स्पेशेलिटी हास्पीटल में डा. एमपी सिंह, डा. पंकज गर्ग व डा. आजाद सिंह ने 30 जनवरी 2010 को किया। सिल्स पद्धति में दूरबीन का आपे्रशन केवल एक ही छेद से किया जाता है। इस बारे में जानकारी देते हुए शाह सतनाम जी स्पेशेलिटी हास्पीटल के प्रवक्ता ने बताया कि पित्त में सामान्य दूरबीन के आप्रेशन में चार चीरे या छेद किए जाते हैं। एक छेद में से वीडियो कैमरा और बाकी तीन छेदों से लेपरोस्कोपिक इन्ट्रयूमेंट डालकर आप्रेशन किया जाता है। सिल्स में सारा आपे्रशन एक ही छेद या चीरे द्वारा किया जाता है। यह छोटा सा चीरा 1.5 से 2.0 सेंटीमीटर का होता है जो नाभि के अंदर किया जाता है। नाभि के अंदर होने के कारण आपे्रशन के बाद यह नजर नहीं आता। इसलिए सिल्स के कई फायदे हैं जैसे दर्द कम होना, आपे्रशन के बाद जल्दी स्वस्थ होना, अपने शारीरिक कार्य करने के लिए सक्षम होना और सबसे जरूरी और बड़ा फायदा आपे्रशन के बाद पेट पर कोई निशान ना होना। प्रवक्ता ने बताया कि इस आपे्रशन के लिए सर्जन की कुशलता बहुत महत्व रखती है। एक माहिर लेपरोस्कोपिक सर्जन ही यह सर्जरी कर सकता है। सिल्स में विशेष प्रकार के उपकरणों व औजारों की जरूरत होती है जोकि पेट के अंदर डालकर मोड़े जा सके। यह माना जा रहा है कि सिल्स शल्य चिकित्सा में एक क्रांति ला देगी, जैसे कि 18 साल पहले लेपरोस्कोपिक सर्जरी ने किया था।

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