धार्मिक आयोजनों में मित्तल चैरिटेबल ट्रस्ट की अलग है पहचान
09 जनवरी 2010
सिरसा(सिटीकिंग) भारत भूमि पर अवतरित हुए सभी ऋषियो - मुनियों व साधु महात्माओं ने प्राणीमात्र के कल्याणार्थ अनेकानेक धर्मशास्त्रों व पुराणों की रचना की, ताकि उनके पठन-पाठन से जहॉ मनुष्य में अच्छे संस्कार विकसित हो वही ईश्वर की सत्ता में उनकी आस्था प्रगाढ़ हो। महान मनीषियों ने धर्म के प्रति लोगों की आस्था बनाए रखने के लिए भारत भूमि पर चार धामों व अनेक पावन मन्दिरों की स्थापना की, जहॉ जाकर मनुष्य आध्यात्मिक भावनाओं से ओतप्रोत होकर स्वंय को ईश्वर के प्रति समर्पित समझ कर अपने कल्याण के लिए सेवाभाव से कार्य करता है। इन पावन धामों व मन्दिरों के कारण देश की एकता व अखण्डता भी मजबूती के साथ एक डोर से बंधी हुई है। इस बात का प्रमाण हमें निरन्तर देखने को मिलता है जब सुदूर रामेश्वरम से चलकर एक तीर्थ यात्री मॉ वैष्णों के पावन धाम की यात्रा करने जम्मू कश्मीर पहुॅचता है और उत्तर भारत के तीर्थ यात्री सुदूर दक्षिण में तीर्थ यात्रा पर जाते है, इसी प्रकार पूर्व में असम में स्थापित मॉ कामाख्यां व पश्चिम में स्थापित सोमनाथ व द्वारिकाधीश के मन्दिरों के दर्शनार्थ तीर्थ यात्रियों का आवागमन बना रहता है। हमारी इस आध्यात्मिक व सामाजिक मान्यता को और मजबूत करने के लिए विभिन्न संस्थाए व ट्रस्ट समय समय पर देश के विभिन्न धर्म स्थानों पर भव्य आयोजन करके अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहते है ऐसे आयोजनों में पंजाब के मित्तल चैरीटेबल ट्रस्ट का अपना एक अलग स्थान है जो विभिन्न धर्म स्थानों पर श्रीमद् भागवत् के आयोजनों द्वारा जहॉ हिन्दू धर्म की अनन्य सेवा कर रहा है वही लोगों में आध्यात्मिक रूचि भी बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में मित्तल चैरीटेबल ट्रस्ट (पंजाब) द्वारा गुजरात के धर्म स्थान द्वारिका स्थित कानदासबापू आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें भजराम शास्त्री ने श्रद्धालुओं को भगवान की लीलाएं सुनाकर आध्यात्मिक रंगो से सराबोर किया। ट्रस्ट के सदस्य मदन गर्ग कालांवाली ने बताया कि इस आयोजन में पंजाब से लगभग 225 लोग भाग लेनें गुजरात पहुचें, जिनके खान-पान व रहन-सहन का सब खर्च भी ट्रस्ट के संचालक यश मित्तल भठिण्ड़ा वालों की तरफ से किया गया। गर्ग ने बताया कि यश मित्तल ने अपने पिता स्व. कौर सैन मित्तल की स्मृति में इस ट्रस्ट की स्थापना की है और वे इस ट्रस्ट के तहत विशाल धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ समाज सेवा के क्षेत्र में भी निरन्तर तनमन व धन से झुटे रहते है। गर्ग ने बताया कि इस आयोजन में शामिल सभी श्रद्धालुओं को सोमनाथ ज्योतिर्लिंगं व नागेशवर धाम ज्योतिर्लिगं के दर्शनों के साथ-साथ रूकमणी मन्दिर द्वारिकाधीश मन्दिर, हरि मन्दिर व पोरबन्दर स्थित महात्मा गांधी के आश्रम के दर्शन भी करवाए गए, इसके इलावा बीच समुन्द्र स्थित भेंट द्वारिका स्थान पर भी सभी को नावों द्वारा लेजाकर भगवान कृष्ण की पावन नगरी के दर्शन करवाए गए। मदन लाल गर्ग ने बताया कि द्वारिका में तुलादान का अत्याधिक महत्व होने के कारण अनेक श्रद्धालुओं ने अपने वजन के हिसाब से विभिन्न सामग्रियों का तुलादान किया। उन्होंने बताया कि द्वारिकां की यात्रा पर जाने वाले सभी श्रद्धालु वहा की मिट्टी का दीपक जरूर अपने साथ लाते है। उन्होंने बताया कि ऐसी किदवन्ती है कि इस दीपक को अपने घर में रोशन करने से घर परिवार में सुख समुद्धि व शांति का आवास होता है।
सिरसा(सिटीकिंग) भारत भूमि पर अवतरित हुए सभी ऋषियो - मुनियों व साधु महात्माओं ने प्राणीमात्र के कल्याणार्थ अनेकानेक धर्मशास्त्रों व पुराणों की रचना की, ताकि उनके पठन-पाठन से जहॉ मनुष्य में अच्छे संस्कार विकसित हो वही ईश्वर की सत्ता में उनकी आस्था प्रगाढ़ हो। महान मनीषियों ने धर्म के प्रति लोगों की आस्था बनाए रखने के लिए भारत भूमि पर चार धामों व अनेक पावन मन्दिरों की स्थापना की, जहॉ जाकर मनुष्य आध्यात्मिक भावनाओं से ओतप्रोत होकर स्वंय को ईश्वर के प्रति समर्पित समझ कर अपने कल्याण के लिए सेवाभाव से कार्य करता है। इन पावन धामों व मन्दिरों के कारण देश की एकता व अखण्डता भी मजबूती के साथ एक डोर से बंधी हुई है। इस बात का प्रमाण हमें निरन्तर देखने को मिलता है जब सुदूर रामेश्वरम से चलकर एक तीर्थ यात्री मॉ वैष्णों के पावन धाम की यात्रा करने जम्मू कश्मीर पहुॅचता है और उत्तर भारत के तीर्थ यात्री सुदूर दक्षिण में तीर्थ यात्रा पर जाते है, इसी प्रकार पूर्व में असम में स्थापित मॉ कामाख्यां व पश्चिम में स्थापित सोमनाथ व द्वारिकाधीश के मन्दिरों के दर्शनार्थ तीर्थ यात्रियों का आवागमन बना रहता है। हमारी इस आध्यात्मिक व सामाजिक मान्यता को और मजबूत करने के लिए विभिन्न संस्थाए व ट्रस्ट समय समय पर देश के विभिन्न धर्म स्थानों पर भव्य आयोजन करके अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहते है ऐसे आयोजनों में पंजाब के मित्तल चैरीटेबल ट्रस्ट का अपना एक अलग स्थान है जो विभिन्न धर्म स्थानों पर श्रीमद् भागवत् के आयोजनों द्वारा जहॉ हिन्दू धर्म की अनन्य सेवा कर रहा है वही लोगों में आध्यात्मिक रूचि भी बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में मित्तल चैरीटेबल ट्रस्ट (पंजाब) द्वारा गुजरात के धर्म स्थान द्वारिका स्थित कानदासबापू आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें भजराम शास्त्री ने श्रद्धालुओं को भगवान की लीलाएं सुनाकर आध्यात्मिक रंगो से सराबोर किया। ट्रस्ट के सदस्य मदन गर्ग कालांवाली ने बताया कि इस आयोजन में पंजाब से लगभग 225 लोग भाग लेनें गुजरात पहुचें, जिनके खान-पान व रहन-सहन का सब खर्च भी ट्रस्ट के संचालक यश मित्तल भठिण्ड़ा वालों की तरफ से किया गया। गर्ग ने बताया कि यश मित्तल ने अपने पिता स्व. कौर सैन मित्तल की स्मृति में इस ट्रस्ट की स्थापना की है और वे इस ट्रस्ट के तहत विशाल धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ समाज सेवा के क्षेत्र में भी निरन्तर तनमन व धन से झुटे रहते है। गर्ग ने बताया कि इस आयोजन में शामिल सभी श्रद्धालुओं को सोमनाथ ज्योतिर्लिंगं व नागेशवर धाम ज्योतिर्लिगं के दर्शनों के साथ-साथ रूकमणी मन्दिर द्वारिकाधीश मन्दिर, हरि मन्दिर व पोरबन्दर स्थित महात्मा गांधी के आश्रम के दर्शन भी करवाए गए, इसके इलावा बीच समुन्द्र स्थित भेंट द्वारिका स्थान पर भी सभी को नावों द्वारा लेजाकर भगवान कृष्ण की पावन नगरी के दर्शन करवाए गए। मदन लाल गर्ग ने बताया कि द्वारिका में तुलादान का अत्याधिक महत्व होने के कारण अनेक श्रद्धालुओं ने अपने वजन के हिसाब से विभिन्न सामग्रियों का तुलादान किया। उन्होंने बताया कि द्वारिकां की यात्रा पर जाने वाले सभी श्रद्धालु वहा की मिट्टी का दीपक जरूर अपने साथ लाते है। उन्होंने बताया कि ऐसी किदवन्ती है कि इस दीपक को अपने घर में रोशन करने से घर परिवार में सुख समुद्धि व शांति का आवास होता है।