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जादू पर विशेष बातचीत

19 जनवरी 2010
प्रस्तुति: प्रवीण कुमार,आयुष्मान और चेतन
जादू एक प्राचीन भारतीय विद्या है जो फिलहाल भारत में पश्चिमी देशों की तुलना में खासी उपेक्षित और पिछड़ी हुई है। इसकी वजह है जादू को सरकारी संरक्षण न मिलना। टेलीविजन और इंटरनेट के युग में जब मनोरंजन के मायने और माध्य बिल्कुल बदल गए हैं, जादू में अब भी वह जादू बरकरार है जो लोगों को ज्ञान-विज्ञान मिश्रित मनोरंजन प्रदान कर सकता है। ऐसे में आवश्यकता है कि सरकार जादू की उपेक्षा के सिलसिले को समाप्त करे। यह कहना है कि जाने माने जादूगर और सम्राट शंकर के शिष्य जादूगर त्रिकाल का। जादूगर त्रिकाल चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के सामुदायिक रेडियो स्टेशन पर हैलो सिरसा कार्यक्रम में केंद्र निदेशक वीरेंद्र सिंह चौहान के साथ जादू के विभिन्न पक्षों पर बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जादू न तो कोई तांत्रिक विद्या है और न ही किसी दैवी ताकत का खेल। बकौल जादूगर त्रिकाल जादू की विद्या द्वारा दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर कड़ा प्रहार करके समाज को एक नई दिशा प्रदान की जा सकती है। मूलत: राजस्थान के हनुमानगढ़ के निवासी त्रिकाल उर्फ नरेश महर्षि दो फिल्मों में अभिनय भी कर चुके हैं और उनके अब तक जादू के बारह हजार से अधिक कार्यक्रम हो चुके हैं। प्रस्तुत है उनके साथ हुई बाचतीत के संपादित अंश :
जादू क्या होता है?
जादू में मुख्यत: हाथ की सफाई का प्रयोग किया जाता है। हिप्टोनोजिम, मेस्मेरिस्म और विज्ञान का समावेश ही जादू होता है। परन्तु दैवीय शक्ति नामक कोई भी शक्ति जादू में नहीं होती। जब हमारा समाज ज्यादा पढा लिखा व जागरूक नहीं था, उस समय इसे काला जादू का नाम दिया जाता था। जादू एक रहस्य है व इसमें कोई तांत्रिक शक्ति नही होती। जैसे अगर कोई जादूगर कबूतर गायब करता है तो वह सिर्फ दृष्टि भ्रम होता है।
जादू की कला का जन्म कहां हुआ?
यह हिंदुस्तान की प्राचीन कला है व इसका जन्म भारत में ही हुआ। किसी समय भारत इस कला में अग्रणी था परन्तु आज हम विदेशों से इसे सीखते है। इसको उचित सरंक्षण न मिलने के कारण इसका यह हश्र हुआ। विदेशो में यह कला और भी ज्यादा उभर रही है। जादू पर पच्चीस फीसदी मनोरंजन कर है। जादूगर शंकर सम्राट द्वारा भी जादू प्रशिक्षण हेतू स्कूल खोलने के लिए सरकार से समय-समय पर मांग की गई है। परन्तु इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
आपके प्रमुख जादू कौन-कौन से हैं?
हमारे कार्यक्रम में अनेक जादू दिखाए जाते हैं। जैसे कार को गायब करना, लड़की को कबूतर बनाना और स्टील की राड़ को लड़की के सीने से आरपार किया जाना आदि। परन्तु इन्द्रजाल एक सबसे अद्भुत व मनमोहक कारनामा है। इसमे एक थैला व एक बाक्स होता है। जिसे कि दर्शकों से चैक करवाया जाता है। मुझे उस थैले में डाल कर व किसी दर्शक द्वारा अच्छी तरह बाँध कर बाक्स में बंद कर दिया जाता है। दर्शक के बाँधते-बाँधते ही मैं पीछे से इन्सपै1टर की वर्दी में निकल आता हूं। लोगों का यह भ्र्रम निकालने के लिए कि कहीं ये डबल रोल तो नही, हम अपने हाथ पर उस दर्शक के हस्ताक्षर करवा कर जाते है। और अंत में बाक्स खोलने पर भी नेता जी की वर्दी में मैं वहां होता हूं। जोकि एक बहुत ही गूढ रहस्य है एवं इन्द्रजाल के नाम से मशहूर है।
जादू की कला का भविष्य कैसा है?
एक फिल्म मेकर को फिल्म बनाने के लिए लाखों रूपये का अनुदान दिया जाता है। परन्तु समाज में कुरीतियों के विरूद्ध आवाज उठाने वाले व समाज को सही दिशा दिखाने वाले जादूगर पर भारी भरकम कर लगाया जाता है। इस परिस्थिति में जादू की कला का भविष्य बहुत सुरक्षित नहीं जान पड़ता है। लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा जादू की कला को ललित कला में शुमार करने के बाद इस कला को बचाया जा सकता है। ललित कला में शुमार होने के बाद बैंको द्वारा भी ऋण देने का प्रावधान है। इस प्रकार विशेष उपायों द्वारा इसे लुप्त होने से बचाया जा सकता है।

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