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मेडिटेशन कैम्प का हुआ शुभारम्भ

13 फरवरी 2010
सिरसा(सिटीकिंग) भगवान शिव पवित्रता, सत्यता, सुन्दरता और तपश्चर्यो के प्रतीक हैं और उनकी अराधना उपासना का अर्थ यही है कि हम अपने जीवन को उचित आहार-विहार, साधना सत्य से तपा के पवित्र करें। महाशिवरात्रि के दिन प्रात: जीना सीखो ध्यान योग एवं मेडिटेशन कैम्प का शुभारम्भ करते हुए हिसार से आए प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य वास्तु विशेषज्ञ पंडित इन्द्रदेव मणि जी ने यह उद्गार प्रकट किए। उन्होंने बताया कि भगवान शिव ने अपने जीवन में तपस्या ध्यान के बल पर ही शिवत्व एवं अमरत्व हासिल किया। हम भी उनके बताये हुए मार्ग पर चलक ध्यान-साधना से अपने शारीरिक मानसिक कष्टों रोगों को दूर कर सकते हैं अपने भीतर शिवत्व का अनुभव कर सकते हैं। देश के जानेे-माने हीलिंग एक्सपर्ट जीना सीखो फांऊडेशन के राष्ट्रीय निदेशक मनीष ग्रोवर ने महाशिवरात्रि के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस दिन हमें अपने स्थूल शरीर को फलाहार सूक्ष्म शरीर को ध्यान से शुद्ध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हमें देवताओं तथा ऋषि मुनियों जैसा स्वास्थ्य चाहिए तो हमें फलों का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए और शिवरात्रि के दिन विशेष रूप से अधिक-से-अधिक फलों का सेवन करना चाहिए। उनके अनुसार फलों के माध्यम से हम सहज रूप से ईश्वरीय प्राण शक्ति को महसूस कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आगामी 12 फरवरी से 15 फरवरी तक अनाज मण्डी सिरसा में 'नि:शुल्क जीना सोखो ध्यान योग एवं मेडिटेशन कैम्प' का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश भर से आए विशेषज्ञ आम जनता को बिना दवाईयों के स्वस्थ होने का सरल सहज तरीका बता रहे हैं। इस अवसर पर फिटनेस विशेषज्ञ जे.सी. शर्मा ने साधकों को शरीर के लिए नियमित वैज्ञानिक ढंग से व्यायाम करने की सलाह दी है उन्हें केवल 10-12 मिनट में ही भरपूर व्यायाम का तरीका बताया। उनके अनुसार व्यायाम केवल शरीर की शक्ति बढ़ाता है अपितु यह शरीर के लिए फ्री टॉनिक दवाई का काम करता है और हमारे व्यक्तित्व सौन्दर्य को भी निखार कर हमें युवा बनाए रखता है। जीना सोखो फांऊडेशन के राष्ट्रीय आहार विशेषज्ञ कपिल कुमार ने साधकों को बताया कि हम यह भूल जाते हैं कि भोजन अगर तला-भूना या निर्जीव होगा या उसमे ज्यादा मिर्च, मसाले या चीनी होगी तो वह फायदे की जगह नुक्सान कर सकता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा प्राण शक्ति से भरपूर जीवित भोजन जैसे अंकुरित दालें अनाज, फल सलाद का सेवन किया जाना जरूरी है। भोजन को धीरे-धीरे चबा-चबा कर सही समय पर खाने से अधिकतर रोगों मोटापे से बचा जा सकता है। शिविर में हर उम्र के रोगी-निरोगी सैंकड़ों साधक भाग ले रहे थे जिसमें महिलाओं बच्चों हेतु विशेष सत्र का आयोजन किया गया है जिसमें ध्यान योग, प्रवचन भजनों से एक दिव्य वातावरण का निर्माण हुआ है।

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