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लोकप्रिय हो रही ''गोद रिवाज"

02 फरवरी 2010
भिवानी(प्रैसवार्ता) विवाह-शादियों में बढ़ते खर्च से समाज पतन की ओर जा रहा है, जिसकी रोकथाम के लिए हरियाणा राज्य में ''गोद रिवाज" प्रथा फिर लोकप्रियता प्राप्त करने लगी है। कुछ समय पूर्व हरियाणा राज्य में कुछ समाज सुधारकों तथा बुद्धिजीवी वर्ग के सहयोग से महापंचायत करके दहेज प्रथा पर अंकुश लगाने तथा बिना दहेज के शादी करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कई फैसले लिये गये, इनका प्रभाव कुछ समय तक तो रहा है, परन्तु धीरे-धीरे यह फैसले ठंडे बस्ते में चले गये थे। वर्तमान में पुन: प्रयास फिर शुरू होने लगे हैं कि और खाप पंचायतें समाज में बदलाव लाने, दहेज प्रथा, फिजूल खर्ची, दिखावे बाजी पर रोक लाने के लिए सक्रिय होने लगी है। ''गोद रिवाज" प्रथा के अन्तर्गत पूर्व में लिए गये निर्णयों में बारातियों की संख्या अधिकतम 25, दान राशी मात्र एक सौ रुपये, कन्यादान पर मात्र एक रुपया, साज-सजावट के टैन्ट हाऊस से समान न लाना, खड़ा होकर खाना न खाने, नाच-गाने व शराब सेवन पर प्रतिबंध, दान-दहेज को सार्वजनिक रूप से न दिखाने इत्यादि शामिल थे। बुद्धिजीवी व समाज सेवी जिले सिंह ने ''प्रैसवार्ता" को बताया कि वर्तमान में विवाह-शादी महंगी होने के कारण लड़की अपने मां-बाप पर बोझ मानी जाती है और इसी वजह से भ्रूण हत्या को बढ़ावा मिलता है, इसलिए ''गोद रिवाज" रस्म का प्रचार-प्रसार जरूरी है, जिसके लिए राज्य भर में सर्व खाप पंचायतों ने प्रयास शुरू कर दिये हैं।

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