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नाम, गुरूमंत्र, मैथर्ड़ ऑफ मेडिटेशन तथा कलमा प्ररेणा देने वाली ताकत

29 मार्च 2010
सिरसा: नाम, गुरूमंत्र, मैथर्ड़ ऑफ मेडिटेशन तथा कलमा उस प्रेरणा देने वाली ताकत का नाम है, जो दोनों जहां की खुशियां देती है, परमात्मा से मिलाती है तथा इन्सानियत का पाठ पढ़ाती है। नाम रूपी ताकत-शक्ति सत्संग में बिना दाम के मिलती है। उक्त उद्गार संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रविवार को शाह सतनाम जी धाम में आयोजित मासिक सत्संग के दौरान फरमाए। इलाके में पड़ रही कड़ाके की गर्मी के बावजूद लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने सत्संग कार्यक्रम में शिरकत की तथा पूज्य गुरु जी के वचनों का लाभ उठाया। सत्संग के दौरान फरमाए गए भजन
'सत्संग में आकर पूछो नाम क्या है, नाम क्या है,
संत बताते, संत बताते।
नामी-अनामी में कोई भेद नहीं है, कोई भेद नहीं है,
संत बताते, संत बताते।।'
कि व्याख्या करते हुए संत जी ने कहा कि समस्त सृष्टि का निर्माण करने वाली उस सुप्रीम पावर ईश्वर, अल्लाह, परमात्मा से कैसे मिला जाए, कैसे गम-चिंता खत्म हो तथा कैसे उस सुप्रीम पावर के कण-कण में दर्शन किये जा सकें, यह सब सत्संग में बताया जाता है। संत जी ने कहा कि जिस प्रकार जन्म लेने के बाद बच्चे को चलना, खाना-पीना इत्यादि उसके मां-बाप, भाई-बहन सिखाते हैं, उसी तरह संत एक टीचर गाइड होते हैं, जो सत्संग में बताते हैं कि किस तरह मंजिले-मकसूद को पाया जा सकता है। संत जी ने कहा कि सभी इन्सानों में हरीरस लबालब भरा हुआ है, जैसे दूध में घी, फूलों में खुश्बू, धरती में पानी समाया हुआ है, बस उसे निकालने का तरीका मालूम होना चाहिए, उसी तरह हरीरस , आबो-हयात को निकालने के लिए ईश्वर, मालिक की भक्ति-इबादत जरूरी है। मालिक की याद में बैठने से मनुष्य के अंदर बह रहा अमृत रूपी झरना अपने आप फूट पड़ता है तथा खुशियों से लबालब कर देता है। संत जी ने कहा कि बुरी सोच को त्याग कर राम-नाम का चिंतन करें। उन्होंने कहा कि मनुष्य दीनता-नम्रता, सहजता रूपी गहनों को धारण करे। सतगुरू के वचन सुने तथा माने और मन की सुने तो ईश्वर उस पर रहमतों की बरसात करते हैं। उन्होंने अहंकार त्यागने का संदेश देते हुए कहा कि जिसके अंदर मय, खुदी है, उसके अंदर खुदा कहां से आएगा। संत जी ने कहा कि इस मानवरूपी देह के दस दरवाजे हैं, जिनमें से 9 द्वार खुले हुए हैं तथा दसवां द्वार ज्ञानचक्षु है, वह बंद है। संत जी ने बताया कि उसे कोई-कोई खोल पाता है। राम-नाम का जाप करो, दृढ़ विश्वास रखो तो यह दरबार खुल जाता है और ईश्वर, अल्लाह, परमात्मा के साक्षात दर्श-दीदार होते हैं और उस परमानंद की प्राप्ति होती है, जिसका स्वाद कहने-सुनने से परे है। संत जी ने कहा कि बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने फरमाया है कि नाम के बिना जीव इस संसार से खाली चले जाते हैं, जो कुछ भी नहीं कर पाते। ना तो यहां परमानंद की प्राप्ति होती है और ही जीवात्मा आवागमण के बंधनो से छुट पाती है। सत्संग के दौरान संत जी ने साध-संगत द्वारा लिखकर पूछे गए रूहानियत संबंधी प्रश्नों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासाएं शांत की। इस मौके पर उन्होंने साध-संगत से पानी बचाने का आह्वान करते हुए कहा कि पानी का सदुपयोग करें। इस अवसर पर उत्तरप्रदेश के खुर्जा से दो किन्नर रीमा महंत सीमा महंत ने पूज्य गुरु जी द्वारा चलाए गए किन्नरोत्थान मुहिम की जानकारी पाकर डेरा सच्चा सौदा पहुंचे तथा पूज्य गुरु जी का आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर पूज्य गुरु जी पावन उपस्थिति में बिना दान-दहेज के दस शादियां भी करवाई गई। सत्संग के समापन अवसर पर पूज्य गुरु जी ने हजारों जीवों को गुरूमंत्र-नामदान देकर उन्हें बुराई त्यागकर मानवता भलाई मार्ग पर चलने का संकल्प दिलवाया। सत्संग के पश्चात पूज्य गुरु जी ने जाम--इन्सां भी पिलाया।

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