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अग्रिपीडितों द्वारा उच्चतम न्यायालय में जाने का निर्णय

10 मार्च 2010

डबवाली। डीऐवी संस्थान द्वारा पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिपीडि़तों को मुआवजा देने फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने के निर्णय के खिलाफ अग्रिपीडि़तों ने बुधवार सायं शहर में शांति मार्च निकाला। अग्रिकांड़ पीडि़त अपने हाथों में जलती हुई मोमबत्तियां और तख्तियां उठाए हुए थे। जिनमें डीऐवी संस्थान के खिलाफ अग्रिपीडि़तों की दलील डीऐवी ना करे अपील, मुश्किल से बीते 14 साल अब तो कर लो हमारा ख्याल, लाशों पर है स्कूल बनाया फिर भी तुम्हे तरस न आया, डीऐवी होश में आओं सचाई से आंख न चुराओं जैसे नारे लिखे हुए थे। शांति मार्च शहर के मध्य में स्थित अग्रवाल धर्मशाला से आरंभ हो कर शहर के मुख्य बाजारों में होता हुआ अग्रिकांड स्मारक स्थल पर समाप्त हुआ। जहां मार्च में शामिल पीडि़त परिवारों के सदस्यों ने जलती हुई मोमबत्तियां लगा कर अग्रिकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर अग्रिकांड पीडि़तों के चेहरों पर अग्रिकांड की काली छाया के बाद डीऐवी द्वारा लिये गये इस निर्णय का दर्द स्पष्ट तौर पर झलक रहा था। यह पहला अवसर था कि न कोई नारेबाजी और न कोई भाषणबाजी ये इस मार्च और संघर्ष की खूबी रही और अग्रिपीडि़तों की चुप्पी ही उनके संघर्ष की लंबी दास्तां को ब्यान कर रही थी। इस मौके पर पत्रकारों सेे बातचीत करते हुए अग्रिपीडि़तों का कहना था कि हलांकि डीऐवी को उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम में जाने का मौलिक अधिकार है लेकिन जिस प्रकार का यह हादसा घटित हुआ और जिस प्रकार अग्रिपीडि़तों की स्थिति है उसे देखते हुए डीऐवी संस्थान को इंसानियत के तौर पर इस निर्णय पर विचार करना चाहिए।
इससे पूर्व पत्रकारों से बातचीत करते हुए अग्रिपीडि़त संघ के प्रवक्ता विनोद बांसल ने कहा कि डीऐवी संस्थान पिछले 14 वर्षों से अग्रिकांड पीडि़तों से अन्याय करता आ रहा है। अग्रिकांड के बाद संस्थान ने देश विदेश करोड़ों रुपये की धन राशि एकत्रित की और वह धन राशि अपने निजी कार्यों में प्रयोग कर ली। अब जब माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर अग्रिपीडि़तों को मुआवजा राशि वितरित की जानी है तो संस्थान उसे जान बूझ का लटका कर मुआवजा राशि देने में आना कानी कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि किसी स्तर पर अन्याय सहन नहीं होगा अगर आवश्यकता पड़ी तो डीऐवी के खिलाफ जनआंदोलन भी चलाया जाऐगा। इस मौके पर कच्चा आढ़तिया एसोसिएशन के प्रधान प्रकाश चंद बांसल, गौ भक्त राम लाल बागड़ी, केशव शर्मा, सुरेंद्र सिंगला, डा. मथुरा दास चलाना, हेमराज जिंदल, रमेश सचदेवा, विजय वढेरा, इकबाल शांत, राजीव वढेरा, ओ पी सचदेवा, पिंटू मोंगा, सुनील सेठी, सुरेंद्र कुमार, विनस सेठी, डा. अरुण बांसल अशोक सेठी, संजीव शाद, इंदू मुरेजा, नाजर सिंह, सुच्चा सिंह, रछपाल सिंह, गुरलाल सिंह, सुरेंद्र कालड़ा, उमेश मित्तल, भूपेंद्र मिढ़ा, शशि कामरा, डॉ. संजीव गंभीर, मंजू कालड़ा, राज रानी, सुनीता रानी मीरा जग्गा सहित भारी संख्या में अग्रिकांड पीडि़त मौजूद थे।

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