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पंजाबी, पंजाबियत और पजांबी महासम्मेलन

26 मार्च 2010
हिसार(प्रैसवार्ता) हरियाणा राज्य के गठन के करीब साढ़े चार दशक उपरांत भी प्रदेश का पंजाबी समुदाय अपने स्वंयभू स्वार्थी नेताओं की स्वार्थ नीति का खमियाजा भुगत रहा है। राज्य में सरकारे बदलती रही, पंजाबी समाज के स्वंयभू ठेकेदार बदलते रहे और बदलती रही उनकी राजनेताओं के प्रति आस्था, मगर पंजाबी समुदाय में कोई बदलाव नहीं है। हर क्षेत्र में संघर्ष की पहचान बन चुका पंजाबी समुदाय प्रदेश के हर क्षेत्र में पीछे हड्डै। पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल और ओम प्रकाश चौटाला ने इस समुदाय में आपसी दूरी बनाई रखी और चहेतों को ठेकेदार बनाकर पंजाबी समाज को अधिकारों, मान-सम्मान व आवश्यकताओं से वंचित रखा और ऐसा ही अब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा करने जा रहे है, ऐसा आरोप चार अक्तूबर को हिसार में होने वाले पंजाबी महासम्मेलन से बौखलाये स्वंयभू ठेकेदार लगा रहे है। जिक्र योग है कि सांसद शादी लाल बतरा तथा विधायक विनोद भयाणा के नेतृत्व में पंजाबी महासम्मेलन किया जा रहा है-जिसके मुख्यातिथी मुख्यमंत्री हुड्डा है। वैसे तो पूरे राज्य में जितने भी प्रभावी राजनेता है, उनके पास पंजाबी स्वंयभू ठेकेदारों की कोई कमी नहीं है और वह भी स्वंय को पंजाबी समुदाय का हितैषी बताते है, मगर सत्यता से समाज भी परिचित है, मगर सही नेतृत्व ने मिलने के कारण अपनी अनदेखी का स्वंय ही जिम्मेवार है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की हरियाणा जनहित कांग्रेस की टिकट पर विधायक बनकर कांग्रेसी ध्वज को ''सैलूट" करने वाले हांसी के विनोद भयाणा को समाज प्रेम भले ही पर्दे के पीछे राजनीति में कोई योजना रखता हो, मगर समाज को संगठित करने का प्रयास जरूर सराहा जा रहा है। समय-समय पर बरसाती मेंढको की तरह चुनावी मौसम में करीब एक दर्जन से ज्यादा बिरादरी के स्वंयभू ठेकेदारों की डफली बजी, मगर सत्यता सामने आने पर प्रातकालीन समाचार पत्र के सांय बासी होने की तरह बासी हो गये-जिनका भाव रद्दी अखबार जैसा हो गया है। राज्य में मात्र संतकुमार ऐडवोकेट ने अपनी सूझ बूझ, समाज के दुख-दर्द, समस्याओं ,जरूरतों और अधिकारों को समझते हुए समाज में जागरूकता लाकर विशेष पहचान बनाई है। हिसार में होने जा रहे पंजाबी सम्मेलन को देखे-परखे बिना ही टिप्पणी करना मात्र एक बौखलाहट कही जा सकती है। ऐसी बौखलाहट और भ्रमित प्रचार के कारण ही राज्य का पंजाबी समुदाय घोषित होता जा रहा है। प्रदेश का पंजाबी समुदाय स्वंयभू ठेकेदारों को परख चुका है और नये चेहरे उन्हे आशा की किरण दिखाई देने लगे है। सत्तारूढ़ सरकार का राज्य में पंजाबी भाषा का दूसरा दर्जा देना पंजाबी समाज के लिए शुभ संकेत है और उम्मीद की जाने लगी है कि उन्हे भी सत्तारूढ़ सरकार से मान-सम्मान , अधिकार की प्राप्ति होगी। इस बात से इंकार करना ज्यादती होगी कि राज्य की पंजाबी बिरादरी अपने उत्पीडन व शोषण के लिए स्वंयभू ठेकेदारों की स्वार्थ नीति का शिकार नहीं है ,मगर अब नए चेहरों पर इस समाज की नजरें टिकी हुई है। पंजाबी सम्मेलन को लेकर वह स्वंयभू ठेकेदारों को ही बेचैनी है, जिनकी बिरादरी के नाम पर की जा रही ''चौधर" पर ग्रहण लग जाएगा।

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