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मेरे बाद ही मेरी पुस्तक छपेगी:नाना पाटेंकर

15 मार्च 2010
मुंबई(अशोक भाटिया) फिल्मों में व राष्ट्र प्रेम के किरदार करने वाले नाना पाटेकर इस समय अपनी आने वाली पुस्तक के लेखन में व्यस्त हैं। बहुत कम लोगों को पता होगा कि नाना पाटेकर एक व्यस्त कलाकार के अलावा कहानीकार, गीतकार व अच्छे लेखक भी है। पर कुछ कारणों के कारण वे नहीं चाहते कि उनके लेखों को सार्वजनिक किया जाए। एक कलाकार के रूप में ख्याती प्राप्त नाना ऐसा क्यों कर रहे है हमनें यह जानने के लिए साथ ही महाराष्ट्र में चल रहे भाषाई विवाद के बारे में उनके विचार जानने के लिए हाल ही में उनसे बातचीत की। पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंश:-
हमनें सुना है कि आप एक अच्छे लेखक है और बहुत कुछ लिखा भी है तो क्या उसमें से कुछ प्रकाशन होने जा रहा है?
हां यह सही है कि मैंने बहुत कुछ लिखा है पर मैंने अपने परिवार वालों से कह रखा है कि यदि वे चाहे तो मेरे बाद इसका प्रकाशन करवा सकते है । इसलिए अब यह बताना आवश्यक नहीं है कि मैंने क्या लिखा है। मैं समझता हूं कि हर कोई वो सब लिख सकता है जो वह महसूस करता है। यदि वो अच्छा हो तो कभी भी प्रकाशित हो सकता है और अच्छा नहीं हो तो कभी भी नहीं। पर आदमी को हमेशा लिखते रहना चाहिए । आप पुस्तकों को कितना महत्व देते है?-पुस्तकों की बहुत ही अहमियत है क्योंकि कई चीजें हम बार बार पढना चाहते है। किताबों के होने से भूली बिसरी बातें तरो ताजा हो जाती है।
आपकी सबसे पसंदीदा कौन सी पुस्तक है?
यह कह पाना तो बहुत ही कठिन होगा़....परन्तु मैंने हाल ही में ' थ्री कॉप्स ऑफ टी ' व ' ए थाउजण्ड स्पेन्डीड सपस् ' पढी थी । दोनों ही अच्छी पुस्तके थी।
आप मराठी है तब आपकों कैसा लगता है जब मराठी साहित्य को महाराष्ट्र से बाहर कोई महत्व नहीं मिलता?
मैं ऐसा कुछ भी महसूस नहीं करता हूं। मैं जानता हूं कि कोई भी भाषा किसी दूसरी भाषा को नहीं मार सकती । यदि आप मेरी भाषा का सम्मान करते हुए उसे सीखेंगे तो मैं भी आपके साथ वैसा ही करूंगा। भाषा पर विवाद लंबा नहीं होना चाहिए। हम केवल मुंबई और महाराष्ट्र की बात ही क्यों करते है हमें देश की हर भाषा के बारे में सोचना चाहिए।
मुंबई में हुए या हो रहे आंतकवादी खतरों के बारे में आपका क्या सोचना है?
लोग बाहर से यहां मुंबई आते है और हमारे घर पर हमला करते है। हम दूसरे दिन समाचार पत्र में पढते है पर कुछ कर नहीं पाते है। कभी मैं सोचता हूं कि मैं अकेला पूर्ण नहीं हूं। मैं कुछ करना चाहता हूं पर कुछ कर नहीं पाता हूं । हम सोचते है कि इन आतंकवादी हमलों के कारण हमारी मौत हो सकती है पर रोज - रोज मरने से तो अच्छा है एक दिन मर जाना। हमें आंतकवादी गतिविधियों का खुल कर सामना करना चाहिए।
बहुत जल्द आप ' राजनीति' में आ रहे है उसके बारे में कुछ बताना चाहेंगे?
इस फिल्म के बारे में अभी कुछ बताना जल्दबाजी हो जायेगी। मैं केवल यह बताना चाहूंगा कि यह फिल्म बहुत बडा बदलाव लायेगी। मैं समझता हूं कि प्रकाश झा कि यह सबसे बडी कृति होगी।

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