सिटीकिंग परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है। सिटीकिंग परिवार आपका अपना परिवार है इसमें आप अपनी गजलें, कविताएं, लेख, समाचार नि:शुल्क प्रकाशित करवा सकते है तथा विज्ञापन का प्रचार कम से कम शुल्क में संपूर्ण विश्व में करवा सकते है। हर प्रकार के लेख, गजलें, कविताएं, समाचार, विज्ञापन प्रकाशित करवाने हेतु आप 098126-19292 पर संपर्क करे सकते है।

BREAKING NEWS:

मनुष्य ईश्वर के घर से मेहमान बनकर आता है: राम रहीम

07 मार्च 2010
सिरसा(सिटीकिंग) संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रविवार को बरनावा (यूपी) वाला रूहानी सत्संग शाह सतनाम जी धाम में फरमाया। सत्संग में जहां यूपी के अलावा, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली आदि राज्यों से हजारों की संख्या में साध-संगत सत्संग का लाभ उठाने पहुंची, वहीं टेलिफोन कांन्फ्रेस व इन्टरनेट द्वारा विदेशों में बैठी साध-संगत ने पूज्य गुरु के अनमोल वचनों को श्रवण किया।
संत जी ने सत्संग के भजन
'काल देश में आए तुम, जब से लिया है ये जन्म,
भूल गए हो सब कुछ तुम, किसलिए हुआ आना...।'
की व्याख्या की। भजन की व्याख्या करते हुए संत जी ने कहा कि इन्सान इस संसार में हमेशा के लिए नहीं बल्कि एक मेहमान की तरह आए हैं। जैसे एक मेहमान किसी के घर जाता है, वहां रूकता है फिर वापिस अपने घर चला जाता है। उसी तरह हमेशा यह याद रखो कि इस संसार से एक दिन वापिस जाना होगा, यही हकीकत है। उन्होने कहा कि इस कलियुगी संसार में बुराई का बोलबाला है। यहां लोग दिन-रात झूठ, कूफर बोल रहे हैं। अपने स्वार्थ के लिए किसी निर्दोष को, गर्दन उठाने वाले को कब दबा दें, कोई भी भरोसा नहीं है। अपने स्वार्थ के लिए इन्सान किस हद तक गिर सकता है, इसकी आप कोई हद तय नहीं कर सकते, क्योंकि आज इन्सान बुराई में पड़ कर सारी हदें पार कर चुका है। आज इन्सान खुदगर्ज, अहंकारी हो चुका है और इस अहंकारी पुरुष को चोट लगती है तो समझ में आती है। लेकिन अगर पहले संभल जाए तो शायद चोट लगने से बच जाए। इस घोर कलियुग में बुराइयों से बचने का एकमात्र उपाए राम का नाम है, इस पर संत जी ने फरमाया कि आप चलते, बैठते, लेटते, काम-धन्धा करते हुए, जैसे भी हो सके मालिक के नाम का सुमिरन करो। मालिक के नाम में ताकत है, शांति, खुशियां है। मालिक के नाम में परमानन्द समाया है और आदमी परमानन्द में दोनों जहान में चिंता से मुक्त खुशियों से मालामाल रहता है और एक सरूर, नशा छाया रहता है। इसलिए राम का नाम लेना बहुत जरूरी है। घोर कलियुग के समय में लोगों के स्वार्थीपन से संबंधित एक बात सुनाते हुए आप जी ने फरमाया कि एक बंदरिया की बात सुनाया करते हैं। हकीकत है या नहीं यह तो अल्लाह ही जाने। लेकिन कहते हैं कि काफी हद तक सच है। कहते हैं कि अगर कहीं बाढ़ जाए तो बंदरिया अपने बच्चे को अपने सिर पर बैठा लेती है और खुद दो पैरों पर खड़ी हो जाती है। बाढ़ का पानी जब उसके खुद के मुंह तक आने लगता है तो कहते हैं कि उसी बच्चे को अपने पांव के नीचे फेंक कर उस पर खड़ी हो जाती है, ताकि खुद बच जाए। तो आज का घोर कलियुग एेसा ही युग है। यहां लोग अपनी खुदगर्जी के लिए किसी को भी कुर्बान कर दें, कोई भरोसा नहीं है। दोगलापन छाया हुआ है। एेसे खुदगर्ज लोग भी हैं जो राम-नाम, मालिक की बात, भक्ति आदि सबकुछ ताक पर रख सकते हैं। लेकिन अच्छे लोग भी बहुत है। पुराने समय के मुकाबले में देखा जाए तो आज एेसे मालिक के प्यारे हैं उन्हें चाहे दुनिया की सारी दौलत भी क्यों दी जाए लेकिन वो टस से मस हुए, हों और कभी हो सकते हैं। इन्सान अगर अपने मालिक, सतगुरु पर दृढ़-विश्वास रखे तो उसे कोई कमी नहीं रहती, इस पर आप जी ने फरमाया कि आदमी की अलग-अलग किस्में हैं। कौन आदमी किस किस्म का है और उसी किस्म से आदमी की पहचान है। इन्सान दृढ़-विश्वासी है तो उसे कोई कमी नहीं रहती और अगर इन्सान में विश्वास की कमी होती है तो कमी ही कमी रहती है। इसलिए दृढ़-विश्वास, बुलंद हौसला रखो। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि धर्म और अधर्म का युद्ध हमेशा चलता रहा है। बुराई और अच्छाई में हमेशा ही जंग रही है और जारी है। लेकिन इतिहास गवाह है कि अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब का नाम लेने वाले पहले भी थे, अब भी हैं और उनके नाम आज भी अमर हैं। उनके नाम दोनों जहान में जगमगा रहे हैं, जबकि बुराई करने वालों का नामो-निशान नहीं मिलता। खुदगर्ज लोग बड़ा तड़प कर मरते हैं। इनका वो हश्र होता है कि जीतो में, मरतो में। समय लग सकता है लेकिन कलियुग है हो सकता है मालिक ज्यादा समय लगाए। आप जी ने फरमाया कि इस घोर कलियुग में मालिक के प्यार में चलना कोई आसान काम नहीं है। कदम-कदम पर रोकने के लिए रूकावटें खड़ी की जाती हैं। इन्सान मालिक का नाम ले, मालिक का नाम लेने वाले ज्यादा हो जाएं, इसके बरगस प्रयत्न किए जाते हैं, क्योंकि मालिक का नाम लेने वाले ज्यादा हो गए और सभी एक-दूसरे को भाई-बहन समझने लग गए, भाईचारा बढ़ गया तो जो लोग धर्म-जात के नाम पर रोटियां सेका करते हैं उनका हाल क्या होगा? एेसी कड़वी सच्चाई है जिसे कोई सुनने को तैयार नहीं और जो सुनते हैं वो भाग्यशाली है और जो अपना लेते हैं। सत्संग के दौरान अति सादगी पूर्व एक जोड़े की दिलजोड़ माला पहनाकर शादी सम्पन्न करवाई। लड़की सहित परिवार के 4 सदस्यों ने मरणोपरांत नेत्रदान के फार्म भरे। सत्संग समाप्ति पर हजारों नामाभिलाषी जीवों ने नाम की अनमोल दात प्राप्त की सेवादारों द्वारा साध-संगत प्रेम पूर्वक कुछ ही मिनटों में लंगर (भोजन) खिलाया गया।

Post a Comment