शिक्षा व्यवस्था में अमूल-चूल परिर्वतन की मांग को लेकर दिया धरना
08 May 2010
हिसार। शिक्षा व्यवस्था में अमूल-चूल परिर्वतन की मांग पर विभिन्न जन संगठनों ने छोटूराम चौक पर धरना दिया गया। आज धरना स्थल पर राजस्थान से मानव प्राकृतिक जन आन्दोलन के सदस्य श्री महावीर जोशी जी ने आकर समर्थन दिया। आन्दोलन को समर्थन करते हुये श्री जोशी ने कहा कि आजादी की लड़ाई के दौरान मकाले की शिक्षा प्रणाली को खत्म करके देश की जनता की जरूरतों के अनुरूप एक नई शिक्षा प्रणाली खड़ी करने का सपना देखा गया । लेकिन आजाद भारत के शासक वर्ग को यह मंजूर नही था क्योंकि अंग्रेज अपने शासन के दौरान भारत एक बड़े हिस्से पर अपनी शिक्षा प्रणाली का विकास करने में सफल हो गये। जिसके कारण संविधान में लक्षित सभी को शिक्षा देने का निर्देशित लक्ष्य हाशिये पर चला गया। इसलिए जन आन्दोलनों का यह दायित्व है कि 18 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चें को मुक्त और अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार दिलाना वह भी बिना किसी शर्त के जनता की अगली लड़ाई होनी चाहिये तथा वे इसको राष्ट्रीय स्तर पर जन आन्दोलन बनावेगें । आज धरने पर पूर्व डिप्यूटि डायरेक्टर ऑडिट विभाग रामस्वरूप ने धरना स्थल पर आकर राष्ट्रीय आय प्रतिनिधि सभा की तरफ से अपना समर्थन दिया। धरने को सम्बोधित करते हुये उन्होंने कहा कि आज शिक्षा आज आदमी से दूर हो गई है लेकिन शिक्षा ऐसी नही होनी चाहिये जो सामाजिक न्याय में वाधक हो तथा भेदभाव पूर्ण हो अर्थात हर तबके के लिए उनकी हैशियत के अनुसार अलग गुणवता वाली शिक्षा देने का खरतनाक समाज शास्त्रीय सिन्द्धात गढ़ा गया। अत: इस दृष्टि से निजि दृष्टि से निजि स्कूलों की सवैधानिक जिम्मेवारी को नए सिरे से परिमाणित करने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को सामान शिक्षा प्रणाली की निति अपनानी चाहिये।
हिसार। शिक्षा व्यवस्था में अमूल-चूल परिर्वतन की मांग पर विभिन्न जन संगठनों ने छोटूराम चौक पर धरना दिया गया। आज धरना स्थल पर राजस्थान से मानव प्राकृतिक जन आन्दोलन के सदस्य श्री महावीर जोशी जी ने आकर समर्थन दिया। आन्दोलन को समर्थन करते हुये श्री जोशी ने कहा कि आजादी की लड़ाई के दौरान मकाले की शिक्षा प्रणाली को खत्म करके देश की जनता की जरूरतों के अनुरूप एक नई शिक्षा प्रणाली खड़ी करने का सपना देखा गया । लेकिन आजाद भारत के शासक वर्ग को यह मंजूर नही था क्योंकि अंग्रेज अपने शासन के दौरान भारत एक बड़े हिस्से पर अपनी शिक्षा प्रणाली का विकास करने में सफल हो गये। जिसके कारण संविधान में लक्षित सभी को शिक्षा देने का निर्देशित लक्ष्य हाशिये पर चला गया। इसलिए जन आन्दोलनों का यह दायित्व है कि 18 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चें को मुक्त और अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार दिलाना वह भी बिना किसी शर्त के जनता की अगली लड़ाई होनी चाहिये तथा वे इसको राष्ट्रीय स्तर पर जन आन्दोलन बनावेगें । आज धरने पर पूर्व डिप्यूटि डायरेक्टर ऑडिट विभाग रामस्वरूप ने धरना स्थल पर आकर राष्ट्रीय आय प्रतिनिधि सभा की तरफ से अपना समर्थन दिया। धरने को सम्बोधित करते हुये उन्होंने कहा कि आज शिक्षा आज आदमी से दूर हो गई है लेकिन शिक्षा ऐसी नही होनी चाहिये जो सामाजिक न्याय में वाधक हो तथा भेदभाव पूर्ण हो अर्थात हर तबके के लिए उनकी हैशियत के अनुसार अलग गुणवता वाली शिक्षा देने का खरतनाक समाज शास्त्रीय सिन्द्धात गढ़ा गया। अत: इस दृष्टि से निजि दृष्टि से निजि स्कूलों की सवैधानिक जिम्मेवारी को नए सिरे से परिमाणित करने की जरूरत है। इसके लिए सरकार को सामान शिक्षा प्रणाली की निति अपनानी चाहिये।