सुमरिन करने से गम-चिंता-परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है: संत गुरमीत
02 मई 2010
सिरसा(न्यूजप्लॅस) विषय-विकारों, काम-धंधों में खोया इंसान, मालिक को भूल जाता है। उसकी भक्ति इबादत नहीं करता, फिर उसे चिंता परेशानियां घेर लेतीं हैं। उक्त शब्द डेरा सच्चा सौदा के पूजनीय संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सा ने आज सुबह शाह सतनाम जी धाम में आयोजित सत्संग के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आई साध संगत को संबोघित करते हुए कहे। संत जी आगे फऱमाया कि किसी को छोटी टेंशन है तो किसी को बड़ी टेंशन। टेंशन में इंसान मालिक की भक्ति इबादत को बिल्कल भी समय नहीं देता जिस कारण और अधिक परेशानियों में उलझता चला जाता है। जबकि गम चिंता परेशानियों से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय है मालिक का नाम जपना, सुमिरन- भक्ति इबादत करना। सुमिरन करने से ही गम-चिंता-परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। सुमिरन का तरीका बताया जाता है सत्संग में। आप सत्संग में आओगे सत्संग सुनोगे औए सुनकर अमल कमाओगे तभी मालिक की रहमत के काबिल बन पाओगे। साध संगत को संबोधित करते हुए संत जी आगे फऱमाया सुमिरन के साथ-साथ मानवता की सेवा जरुरी है।नशों को बर्बादी का घर बताते हुए संत जी ने कहा कि सभी धर्मों में नशों को बुरा बताया गया है, गुरु जी बताया कि नशे से कभी इंसान को खुशी हासिल नहीं हो सकती जब तक इंसान नशे में रहता है तब तक वह ग़मों को भूले रहता है लेकिन नशा उतारते ही औए ज्यादा परेशानियां उसे घेर लेती हैं। इसलिए आप नशेडिय़ों का संग न करो। उनकी सोहबत से दूर रहो। मांसाहार के बारे में संत जी ने फऱमाया कि वो लोग गलत हैं जो कहते हैं मांसाहार में ही ताकत होती है। अनेक शाकाहारी जानवरों का उदाहरण देते हुए गुरु जी ने कहा कि हाथी, गेंडा, बैल, सांड आदि अनेक जानवर हैं जिनमे अथाह शक्ति है। जो लोग मांस अंडे को अच्छा बताते हैं वो सिर्फ खाने पीने के लिए ऐसा कहते हैं। इंसानी व्यवहार पर मांसाहार का असर के बारे में गुरु जी कहा कि मांस खाने से इंसान की प्रकृति बेरहम हो जाती है। इसलिए रहम की भावना आपके अंदर बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि आप मांसाहार से दूर रहें और शाकाहार अपनाएं। सत्संग के दौरान श्रृद्धालुओं द्वारा पूछे गए सवालों के उत्तर देकर संत जी ने उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया । सत्संग के बाद नाम-गुरुमंत्र मेथड आफ मेडिटेशन सीखने नए जीवों को नाम की अनमोल प्रदान की गई। इसके बाद जाम इ इन्सा रूहानी जाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे हजारों की तादाद में जाम पीने आई साध संगत ने जाम-ए-इंसा पीकर बुराईयां छोडऩे व मानवता भलाई करने की प्रतिज्ञाएं लीं। जाम ए इंसा के दौरान गुरु जी द्वारा गए भजन पीर मेरा- पीर मेरा पर साध संगत मंत्र मुग्ध हो गई।
सिरसा(न्यूजप्लॅस) विषय-विकारों, काम-धंधों में खोया इंसान, मालिक को भूल जाता है। उसकी भक्ति इबादत नहीं करता, फिर उसे चिंता परेशानियां घेर लेतीं हैं। उक्त शब्द डेरा सच्चा सौदा के पूजनीय संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सा ने आज सुबह शाह सतनाम जी धाम में आयोजित सत्संग के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आई साध संगत को संबोघित करते हुए कहे। संत जी आगे फऱमाया कि किसी को छोटी टेंशन है तो किसी को बड़ी टेंशन। टेंशन में इंसान मालिक की भक्ति इबादत को बिल्कल भी समय नहीं देता जिस कारण और अधिक परेशानियों में उलझता चला जाता है। जबकि गम चिंता परेशानियों से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय है मालिक का नाम जपना, सुमिरन- भक्ति इबादत करना। सुमिरन करने से ही गम-चिंता-परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। सुमिरन का तरीका बताया जाता है सत्संग में। आप सत्संग में आओगे सत्संग सुनोगे औए सुनकर अमल कमाओगे तभी मालिक की रहमत के काबिल बन पाओगे। साध संगत को संबोधित करते हुए संत जी आगे फऱमाया सुमिरन के साथ-साथ मानवता की सेवा जरुरी है।नशों को बर्बादी का घर बताते हुए संत जी ने कहा कि सभी धर्मों में नशों को बुरा बताया गया है, गुरु जी बताया कि नशे से कभी इंसान को खुशी हासिल नहीं हो सकती जब तक इंसान नशे में रहता है तब तक वह ग़मों को भूले रहता है लेकिन नशा उतारते ही औए ज्यादा परेशानियां उसे घेर लेती हैं। इसलिए आप नशेडिय़ों का संग न करो। उनकी सोहबत से दूर रहो। मांसाहार के बारे में संत जी ने फऱमाया कि वो लोग गलत हैं जो कहते हैं मांसाहार में ही ताकत होती है। अनेक शाकाहारी जानवरों का उदाहरण देते हुए गुरु जी ने कहा कि हाथी, गेंडा, बैल, सांड आदि अनेक जानवर हैं जिनमे अथाह शक्ति है। जो लोग मांस अंडे को अच्छा बताते हैं वो सिर्फ खाने पीने के लिए ऐसा कहते हैं। इंसानी व्यवहार पर मांसाहार का असर के बारे में गुरु जी कहा कि मांस खाने से इंसान की प्रकृति बेरहम हो जाती है। इसलिए रहम की भावना आपके अंदर बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि आप मांसाहार से दूर रहें और शाकाहार अपनाएं। सत्संग के दौरान श्रृद्धालुओं द्वारा पूछे गए सवालों के उत्तर देकर संत जी ने उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया । सत्संग के बाद नाम-गुरुमंत्र मेथड आफ मेडिटेशन सीखने नए जीवों को नाम की अनमोल प्रदान की गई। इसके बाद जाम इ इन्सा रूहानी जाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे हजारों की तादाद में जाम पीने आई साध संगत ने जाम-ए-इंसा पीकर बुराईयां छोडऩे व मानवता भलाई करने की प्रतिज्ञाएं लीं। जाम ए इंसा के दौरान गुरु जी द्वारा गए भजन पीर मेरा- पीर मेरा पर साध संगत मंत्र मुग्ध हो गई।